लाहरी बाई ने “अन्न संरक्षण” के लिए किया वो काम जिसने बढ़ाया MP का मान, पीएम मोदी ने भी की तारीफ

Atul Saxena
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MP News : मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले में रहने वाली बैगा जनजाति (आदिवासी ) की महिला लाहरी बाई ने “अन्न संरक्षण” के क्षेत्र में एक बड़ा काम किया है, पिछले दिनों दूरदर्शन न्यूज़ ने लाहिरी बाई के प्रयासों को जब टीवी पर दिखाया तो पीएम मोदी की नजर भी उसपर पड़ी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने एक आदिवासी महिला द्वारा किये गए प्रयास की ना सिर्फ प्रशंसा की बल्कि ट्वीट कर लिखा कि लाहरी बाई के प्रयास दूसरों को भी प्रोत्साहित करेंगे।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्वीट को टैग करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) ने ट्वीट किया – बहन लाहरी बाई मोटे अनाजों “श्री अन्न” के संरक्षण हेतु जो अभूतपूर्व कार्य कर रही हैं, इससे मध्यप्रदेश का गौरव बढ़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में “श्री अन्न” को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने के प्रयासों को सफलता मिल रही है। प्रधानमंत्री जी का हार्दिक अभिनंदन।

 

 

बैगा जनजाति की लाहरी बाई डिंडौरी जिले के ग्राम सिलपदी की निवासी हैं। वे एक दशक से अधिक समय से कुटकी, सांवा, कोदो, कतकी जैसे मोटे अनाजों के संरक्षण में लगी हैं। उनके पास अनेक प्रकार के मोटे अनाजों के बीजों का भंडारण है। ग्रामीण आवास योजना से बना दो कमरों का उनका मकान, आस-पास के क्षेत्र में मोटे अनाज के बीज भंडार के रूप में जाना जाता है। लाहरी बाई का कहना है कि “हमारे यहाँ जो बीज विलुप्त हो गए थे, उन्हें बचाने के लिए हम अन्य गाँव से बीज लेकर आए और उनका उत्पादन किया, किसानों को बीज बाँटे, किसानों ने अपने खेतों के छोटे क्षेत्रों में इन्हें बोया और फसल आने पर हमने उनसे यह वापस ले लिए। विलुप्त हो चुकी कई तरह की फसलों के बीज अब हमारे पास हैं।”

उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को मिलेट ईयर अर्थात मोटे अनाज के वर्ष के रूप में घोषित किया है। मोटे अनाज कम सिंचाई में अच्छी उपज देने वाले तथा पोषण से परिपूर्ण होते हैं। फसल चक्र को सुचारू बनाने और छोटे किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। मध्य प्रदेश में मोटे अनाज के उत्पादन और संरक्षण की दिशा में काम हो रहा है ।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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