भोपाल।
एमपी में लोकसभा चुनाव के नतीजों ने सबको हैरान कर दिया है। विधानसभा में जीत का झंडा लहराने वाली कांग्रेस में करारी हार के बाद खलबली मची हुई है। प्रदेश में दिग्गजों की हार ने पार्टी के अंदरखानों में हलचल पैदा कर दी है। वही हार के बाद मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ के काम पर सवाल उठने लगे है। कांग्रेस नेता और कोषाध्यक्ष गोविंद गोयल के बाद अब दिग्विजय सिंह के भाई और चाचोड़ा से कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने सवाल उठाए है। उन्होंने ट्वीटर के माध्यम से इशारों ही इशारों में प्रदेश संगठन नेतृत्व को लेकर सवाल खड़े किए है और इसे बदलने की बात कही है।सिंह के इस ट्वीट के बाद मध्यप्रदेश की सियासत गर्मा गई है। कांग्रेस में जमकर ह़ड़कंप मचा हुआ है।हालांकि अभी तक किसी भी बड़े नेता का बयान सामने नही आया है।
दरअसल, लोकसभा में देश के साथ साथ मध्य प्रदेश में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस में फिर फूट नजर आने लगी है। नेता हार के लिए अपनी ही पार्टी पर सवाल खडे कर रहे है।अंदरखानों में जमकर हडकंप मचा हुआ है, दिग्गजों की हार ने नेताओं की नींद उड़ा के रख दी है।इसी बीच दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने सीधे संंगठन नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है सही व्यक्ति को संगठन सौंपने की ज़रूरत है।साथ ही कार्यकर्ताओं को जोश भरते हुए निराश ना होने की बात कही है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है ”कांग्रेस पार्टी के सभी कार्यकर्ता भाईयों,बहनों निराश न हो।जब मनुश्य पुनर्जन्म ले सकता है,तो अपनी पार्टी भी पुन्ह जीवित होगी,बस अवश्यक्ता है तो सही व्यक्ति को संगठन का काम देना।”हालांकि यह पहला मौका नही है जब लक्ष्मण सिंह ने अपनी ही सरकार को सवालों के घेरे में खडा किया हो इसके पहले भी वे कई बार पार्टी पर ट्वीटर के माध्यम से हमला बोल चुके है। उनकी पत्नी भी मुख्यमंत्री कमलनाथ को आड़े हाथों ले चुकी है। लक्ष्मण सिंह ने इस ट्वीट ने फिर पार्टी में भूचाल मचा दिया है।राजनैतिक गलियारों में इस ट्वीट को लेकर जमकर चर्चा हो रही है।
गोविंद गोयल भी उठा चुके है सवाल
इससे पहले कांग्रेस के कोषाध्यक्ष गोविंद गोयल ने फेसबुक पर पोस्ट कर सवाल उठाए थे। उन्होंने फेसबुक के माध्यम से मुख्यमंत्री कमलनाथ के काम पर सवाल उठाए और उनसे इसकी रिपोर्ट मांगे जाने की बात कही। गोयल ने फेसबुक पर लिखा था कि ”कमलनाथ जी ने कहा था मैँ अब पीसीसी अध्यक्ष पद पर समय नहीं दे पाउंगा ज़िन्होने माह मैँ केवल एक घंटे समय देकर पीसीसी सम्हालने की बात कही उनसे रिपोर्ट ली जाना चाहिये ।”
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से पहले ही कमलनाथ को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था, लेकिन सीएम बनने के बाद उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष का पद नहीं छोड़ा। हालाँकि इसके कयास लगाए जाते रहे, दिल्ली में बैठकों का दौर भी चला, लेकिन सहमति नहीं बन पाने के कारण लोकसभा चुनाव तक कमलनाथ ही प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे इस पर निर्णय हुआ, लेकिन विधानसभा चुनाव के छह माह के भीतर ही कांग्रेस की करारी हार से कांग्रेस के अंदरखाने नेतृत्व और खींचतान पर सवाल उठने लगे हैं।नेताओं के बाद अब विधायक भी सीधे तौर पर पार्टी पर हमला करने से नही चूक रहे है।