चुगली करने की आदत लगभग हर व्यक्ति में होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह एक ऐसी आदत होती है जो ना केवल समाज में नकारात्मकता फैलाती है, बल्कि व्यक्तिगत जीवन में भी कई तरह की परेशानियां ला सकती है. यह आदत अक्सर हमें दूसरों की कमियों और गलतियों को दिखाने और बताने का आनंद देती है. लेकिन क्या आप जानते हैं, कि यह पल भर का आनंद कितना भारी पड़ सकता है.
प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) ने चुगली की आदत के बारे में कई सारी बातें बतायी है, प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसे कई लोगों को देखा है जो दूसरों की चुगली और कमियों को उजागर करके संतुष्ट होते हैं, तो क्या ये आदत मन को संतुष्ट करती हैं, क्या यही हमारे मन का संतोष है? प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि यह एक ऐसी आदत है जो कुछ लोगों में नहीं बल्कि हर एक में पाई जाती है, बस यह इस बात पर निर्भर करता है कि कौन व्यक्ति किस तरीक़े से दूसरों की आलोचना करता है, कोई किसी की ज़्यादा आलोचना करता है तो कोई कम करता है लेकिन करते लगभग सभी हैं.
चुगली की आदत से कैसे छुटकारा पाएं
इसी विषय पर एक व्यक्ति ने प्रेमानंद जी महाराज से पूछा कि महाराज जी मैंने यात्रा के दौरान एक महिला को लगातार चुगली करते देखा, तब से ही मेरे मन में यह सवाल उठ रहा था कि क्या चुगली करने से कोई व्यक्ति ख़ुश रह सकता है या फिर चुगली करना ही मन को असली संतुष्टि देता है, उस व्यक्ति ने यह भी बताया कि जब वह ख़ुद कभी भी तीन चार लोगों को देखता हैं उनसे मिलता है, तो वह इधर उधर की बातें करने लगता है और ये आदत बचपन से उसके अंदर है और अब वह इस आदत से परेशान हो चुका है और उसे छोड़ना चाहता है. चलिए आर्टिकल में जानते हैं कि प्रेमानंद जी महाराज ने इस सवाल का उत्तर दिया.
मौन धारण करना ही सबसे अच्छा समाधान
इस बार प्रेमानंद जी महाराज ने उत्तर दिया, कि इस आदत से छुटकारा पाना बिलकुल भी मुश्किल नहीं है, इस समस्या का समाधान आपकी ख़ुद के पास है. अगर आपको ऐसा लगता है कि जब कभी भी आप किसी व्यक्ति से मिलते हैं तो आप दूसरों की बुराई, चुगली या आलोचना करे बिना नहीं रहते हैं तो आपको ऐसे में मौन धारण कर लेना चाहिए, शायद आपको सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा होगा लेकिन यह एक बहुत ही अच्छा समाधान है.
मौन धारण से चुगली की आदत को कैसे छोड़ें?
जब आप मौन धारण करेंगे और केवल ज़रूरी बातें ही लिखकर बता पाएंगे, तो आप सिर्फ़ अच्छी अच्छी बातों को लिखने पर ही ध्यान देंगे, आप बिलकुल भी फ़ालतू या इधर उधर की बातें लिखने में अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहेंगे, और अगर कोई सामने से आपसे बात करने के लिए आता है, या आपको बात करने के लिए उकसाता है, तो आप एक चिट्ठी में लिखकर उन्हें बताएँ कि आपको वृंदावन वाले बाबा ने मौन दिलवा दिया है. इतना ही नहीं प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी कहा कि अगर आपका बहुत बात करने का मन करे तो आप ख़ुद को एक कमरे में बंद करें और ज़ोर ज़ोर से राधे राधे का जाप करें. ऐसा करने से धीरे धीरे आपकी यह नकारात्मक आदत ख़त्म हो जाएगी और सिर्फ़ और सिर्फ़ सकारात्मक ही सोचेंगे.
स्थायी आनंद पाने का सही तरीका
चुगली करना या किसी के बारे में भला बुरा बोलने से भले ही आपको कुछ देर के लिए आनंद मिले, लेकिन जब इस आदत के बारे में आप गंभीरता से सोचेंगे तो आप पाएंगे कि यह आनंद स्थायी आनंद नहीं है, ये मात्र कुछ पल का आनंद है, जो कि हमें किसी के बारे में नकारात्मक बातें बोलकर मिला है, थोड़ा सोचने की आवश्यकता है कि अगर हम किसी के बारे में नकारात्मक बोलकर कुछ पल का आनंद ले सकते हैं तो सोचें कि अगर हम किसी के बारे में हमेशा सकारात्मक बोलेंगे तो हम ज़िंदगी भर का आनंद ले सकेंगे. ये हमारी अपनी ख़ुद की ज़िम्मेदारी है कि हम हमेशा सकारात्मक बोलें, और जो भी व्यक्ति हमसे नकारात्मक बातें किसी के भी बारे में बोल रहा हो उसे भी सकारात्मक सोचने के लिए मजबूर करेंगे.
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।