MP Transport Department CBI Probe : एक बार फिर मध्य प्रदेश का परिवहन विभाग भ्रष्टाचार को लेकर कठघरे में खड़ा हुआ है, लेकिन इस बार मामला प्रदेश सरकार के सामने नहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखा गया है। इतना ही नहीं इस मामले को लेकर सीबीआई जांच तक की मांग की गई है।
VLT डिवाइस बनी लूट का जरिया
जांच की मांग मध्य प्रदेश बस एसोसिएशन द्वारा की गई है, यह शिकायत वहीकल लोकेशन डिवाइस यानि VLTD लगाने वाली कंपनियों के खिलाफ और उनके द्वारा बस मालिकों के साथ की जा रही खुली लूट के खिलाफ की गई है।
2018 में आदेश हुआ था पारित
दरअसल वर्ष 2018 में भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की थी जिसके अनुसार वहीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस और आपातकालीन बटन के आदेश जारी किए गए थे। इन आदेशों में यह भी साफ तौर पर स्पष्ट था कि जब तक परिवहन कर रही गाड़ियों (कमर्शियल) में यह दोनों चीज नहीं लग जाती हैं तब तक गाड़ी का फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जाएगा।
इस आदेश में यह भी साफ तौर पर उल्लेखित किया गया था कि बस मालिकों को इस बात की पूर्ण स्वतंत्रता रहेगी कि वे किस कंपनी से यह डिवाइस और इमरजेंसी बटन खरीदना चाहते हैं। लेकिन पीएम मोदी के लिए लिखे गए पत्र के अनुसार मध्य प्रदेश में कहानी कुछ और ही है।
VLT डिवाइस कम्पनी नहीं चुन सकते बस मालिक
इस पत्र में बस एसोसिएशन द्वारा साफ तौर पर यह बताया गया है कि प्रदेश के बस मालिकों को VLT डिवाइस चुनने की स्वतंत्रता नहीं दी गई है, बल्कि प्रदेश के परिवहन विभाग द्वारा कंपनियों के साथ एक सिंडिकेट बनाकर मनमानी कीमतों पर कुछ ही कंपनियों द्वारा यह डिवाइस दिया जा रहा है। अब अगर बस मालिकों को फिटनेस सर्टिफिकेट चाहिए और बस संचालन करना है तो उन्हें निर्धारित मूल्य से डेढ़ से दोगुना ज्यादा कीमत देकर इन्हीं कंपनियों से VLT डिवाइस खरीदना होगा।
बस मालिकों का कहना है यह साफ तौर पर न केवल वाहन मालिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (EASE OF DOING BUSINESS) की परिकल्पना के भी विपरीत है।
800 के सिम रिचार्ज के कैश में देने पड़ रहे 5500 रुपए
फिटनेस सर्टिफिकेट और बस संचालक के लिए आवश्यक VLT डिवाइस कहीं ना कहीं बस मालिकों के लिए मजबूरी का सबब बन गई है और इस सबके चलते जो सालभर के VLT डिवाइस का सिम रिचार्ज ₹800 रुपए का होना चाहिए उसके लिए सिंडिकेट द्वारा 4500 से 5500 रूपये वसूले जा रहे हैं। इस मामले में विचार वाली बात यह भी है कि यह पेमेंट बस मालिकों द्वारा पूर्णतः कैश में किया जा रहा है क्योंकि इसके लिए उनके पास डिजिटल मोड की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इस बात को लेकर बस संचालकों का संदेह है कि इसमें GST को लेकर भी बड़ी धांधलेबाजी सामने आ सकती है।
कौन डीलर कहां सर्विस सेंटर कोई जानकारी नहीं
अपने इस पत्र में बस एसोसिएशन ने यह भी स्पष्ट किया है की जो VLT डिवाइस बसों में लगाए जा रहे हैं वह सीधे RTO द्वारा लगाए जा रहे हैं। ना राज्य में अब तक इस बात का पता चल पा रहा है की डिवाइस पर संभाग स्तर पर कौन डीलर है और ना ही इस बात का कि इसके सर्विस सेंटर कहां पर स्थित है। यह अपने आप में एक जांच का विषय है।
CBI जांच की पीएम मोदी से मांग
पत्र के आखिर में बस एसोसिएशन मालिकों ने व्यापक रूप से चल रहे इस भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रधानमंत्री मोदी से सीबीआई जांच की मांग करते हुए लिखा है कि “सीबीआई जैसी संस्था से ही जांच करने पर वस्तु स्थिति सामने आ सकती है, अतः कृपया योग्य कार्यवाही कर मध्य प्रदेश के मोटर मालिकों को VLTD माफियाओं से मुक्त करने की कृपा करें।