भोपाल| मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद पिछले डेढ़ माह से कर्जमाफी की चर्चा जोरो पर है| इस बीच केंद्र की मोदी सरकार ने अपने अंतरिम बजट में किसानों को 6 हजार रुपए सालाना खाते में डालने का एलान कर दिया| जिसके बाद अब किसानों में इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई| किसानो के साथ राजनीतिक दलों से भी प्रतिक्रियाएं आ रही है| कोई इसे किसानों को मजबूत बनाने की पहल बता रहा तो कोई इसे किसानों के साथ मजाक कह रहा है| मध्य प्रदेश में यह किसानों के लिए दूसरा तोहफा है| पहले राज्य सरकार से कर्जमाफी और दूसरा केंद्र सरकार से ‘किसान सम्मान निधि’ के रूप में मिला है| इस योजना का लाभ प्रदेश में 75 लाख खातेधारक किसानों को मिलेगा|
केंद्र सरकार ने अंतरिम बजट में छोटे एवं सीमान्त किसानों को राहत देने के लिए उन्हें 6,000 सालाना की न्यूनतम वार्षिक आय देने की योजना पेश की है। प्रदेश में सीमांत किसान 48.33 लाख और लघु किसान 27.24 लाख हैं। इन्हें छह हजार रुपए सम्मान निधि के तौर पर सीधे खाते में मिलेंगे। कृषि विभाग के आंकड़ों के हिसाब से 75 लाख 57 हजार लघु और सीमांत खातेधारक किसान हैं। इसमें एक किसान के पास दो या इससे अधिक खाते भी हो सकते हैं। जब निधि की राशि किसानों के खाते में ट्रांसफर होगी, तभी वास्तविक लाभार्थियों की संख्या पता लग पाएगी। वैसे प्रदेश में लघु और सीमांत किसानों की संख्या कुल किसानों की 70 फीसदी से ज्यादा है। जोत लगातार घटने की वजह से यह संख्या बढ़ी है।
लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार की इस योजना को लेकर सियासी बयानबाजी हो रही है| बीजेपी इस किसानों के लिए क्रांतिकारी फैसला बता रही है| वहीं कांग्रेस ने इस घोषणा को सिरे से नकार दिया| वहीं कृषि के जानकार भी इसे चुनावी फैसला बता रहे हैं| इससे थोड़ी राहत मिल सकती है, लेकिन यह किसानों की स्तिथि नहीं बदल सकता| यदि किसानों को उपज का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) वास्तव में दे दिया जाता है तो सरकारों को ऐसे कदम उठाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य ही सही मायने में किसानों का भला कर सकता है|