शहीद मनीष विश्वकर्मा के परिजनों को दी जाएगी 1 करोड़ की सम्मान निधि और सरकारी नौकरी

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट
बारामूला में आतंकी हमले में शहीद हुए राजगढ़ जिले के जवान मनीष विश्वकर्मा का पार्थिव शरीर आज बुधवार सुबह राजधानी भोपाल पहुंचा, जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शहीद जवान को पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।वही मुख्यमंत्री चौहान ने ऐलान करते हुए कहा कि शहीद परिवार को एक करोड़ की सम्मान निधि, परिवार के एक सदस्य को उनकी सहमति पर शासकीय सेवा में नियुक्ति, ग्राम में शहीद की प्रतिमा की स्थापना और किसी संस्था का नाम शहीद के नाम पर किया जाएगा। शहीद मनीष का पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए राजगढ़ जिले के खुजनेर ले जाया जा रहा है।

जम्मू में आतंकी हमले में राजगढ़ के सैनिक शहीद हुए मनीष विश्वकर्मा का पार्थिव शरीर आज 11बजे भोपाल से उनके पैतृक गांव खुजनेर लाया जाएगा जहा राजकीय सम्मान के साथ मनीष का अंतिम संस्कार किया जाएगा।जब से मनीष की शहादत की खबर परिवार को मिली है ,तबसे सभी का रो रो कर बुरा हाल है ,मनीष के शहीद होने की खबर मिलते ही उनकी माँ का रो रो कर बुरा हाल है मनीष की मां बताती हैं कि शहीद मनीष से उनकी फोन पर लास्ट बार बात अभी कुछ दिनों पहले हुई थी उन्होंने अपनी पत्नी को घर बुलाने के लिए अपनी मां को कहा था ।मां अपने शहीद बेटे से लास्ट बार फोन पर हुई बात को याद कर करके बिलख बिलख कर -रो रही है, और हर पल रोते-रोते बेसुध हो रही है वही मनीष की पत्नी अपने शहीद पति पर गर्व करने की बात कह रही है और कह रही है कि अब मैं बाकी जिंदगी मेरे पति के माता पिता की सेवा करूंगी । वीर सपूत मनीष शहीद के अंतिम संस्कार की तैयारियां तेज कर दी है। पूरे राजकीय सम्मान के साथ बुधवार को खुजनेर नगर में यह कार्यक्रम होगा। जगह जगह पर वीर मनीष कारपेंटर के बलिदान होने पर उन्हे पोस्टर के माध्यम श्रद्धांजलि दी जाएगी।

 

वीर मनीष विष्वकर्मा जिसका जन्म 1 जनवरी 1998 को राजगढ़ जिले के खुजनेर में हुआ। उसने केवल 18 साल की आयु में ही सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने का लक्ष्य बनाया व उस पर खरा उतरते हुए देश के लिए बलिदान दिया। शहीद मनीष विश्वकर्मा के पिता सिद्धनाथ विश्कर्मा मकान बनाने वाले कारीगर है ।और मेहनत मजदूरी करते हुए उसके माता पिता ने पालन पोषण किया। पूरा परिवार ही देश सेवा के लिए जीने वाला है। वीर मनीष विश्वकर्मा का बढ़ा भाई हरीश विश्वकर्मा भी 2014 से सेना में ही राजस्थान के गंगानगर में तैनात होकर देश की सेवा कर रहे है। मनीष अपनी डयूटी से छुट्टी लेकर वह परिवार से मिलने अंतिम बार दिसम्बर 2019 में आया था और जनवरी तक रुककर वापस ड्यूटी पर गया था । उसकी अंतिम बार अपने माता पिता व परिवार से बात चार दिन पहले ही मोबाइल पर हुई थी व परिवार के हाल चाल जानने के बाद उसने जम्मू कश्मीर में अपनी डयूटी को लेकर जानकारी दी थी।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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