भोपाल। देश के कर्णधार जो हम पर थोप रहे हैं, उसके खिलाफ आज खड़े नहीं हुए तो हम इस देश के नागरिक ही नहीं, बल्कि इंसान ही नहीं कहलाएंगे। हमें सीएए-एनआरसी को लेकर आवाज उठाना पड़ेगी, वर्ना इस देश में फिर एक बंटवारे के हालात बन जाएंगे। यह बंटवारा किसी अलग मुल्क या देश के रूप में नहीं होगा, बल्कि यहां के बाशिंदों को दो अलग-अलग विचारधारा और कई अलग-अलग वर्गों में बांटने जैसा होगा।
नर्मदा आंदोलन की नेत्री मेघा पाटकर ने यह बात कही। वे शनिवार को राजधानी के इकबाल मैदान पर 1 जनवरी से जारी सत्याग्रह आंदोलन में शामिल होने के लिए पहुंची थीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि एक ऐसे कानून को बदलने की कवायद की जा रही है, जो हमें इस देश की आजादी के साथ मिला था। इस संशोधन के जरिये जात, धर्म और मजहब के नाम पर बांटने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने आसाम में लागू किए जाने वाले कानून का हवाला देते हुए कहा कि वहां जो हुआ और हो रहा है, उसकी कल्पना कर देश के लोगों के रोंगटे खड़े हो सकते हैं। मेघा पाटकर ने सत्याग्रह में शामिल युवाओं को आश्वस्त किया कि वे उनके इस आंदोलन में पूरी तरह से शामिल हैं और उनकी आवाज प्रदेश की राजधानी से लेकर देश की राजधानी तक उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी।
महिला शायरों ने सुनाए जज्बाती अशआर
इकबाल मैदान पर जारी सत्याग्रह के दौरान शनिवार को शायरात का मुशायरा और कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। इस दौरान प्रज्ञा रावत, प्रतिभा गोटेवाला, श्रुति कुशवाहा, निधि जोशी, परवीन कैफ, ऐश्वर्या श्रीवास्तव, आरती, शहनाज इमरानी, संध्या कुलकर्णी, नाजिया निकहत आदि शायरा और कवित्रियों ने अपने ओजस्वी कलाम के जरिये कानून संशोधन को गलत करार दिया। उन्होंने अपनी रचनाओं के जरिये केन्द्र सरकार को इस बात के लिए भी चेताया कि जोर जबरदस्ती, हठधर्मिता या गुंडागर्दी एक सीमा तक ही बर्दाश्त की जा सकती है। महिला कवित्रियों और शायराओं ने इस बात से भी आगाह किया कि महिलाओं को सिर्फ घरों में सजाने की वस्तु या चौके-चूल्हे तक ही सीमित न माना जाए, वह जब कमर कसकर घरों से बाहर आती है तो झांसी की रानी भी बन सकती है और रजिया सुल्तान भी। उन्होंने कहा कि औरत में मरियम भी है और दुर्गा भी वास करती है।
परमिशन खत्म, सत्याग्रह जारी
जिला प्रशासन द्वारा शहर की नगर निगम सीमा में धारा 144 लागू करने के आदेश जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही उसने यह भी स्पष्ट किया है कि सीएए-एनआरसी को लेकर निकाले जा रहे मार्च, रैलियों, धरना, प्रदर्शन आदि पर पूरी तरह से पाबंदी रहेगी। इस तरह के आयोजनों के लिए जिला प्रशासन के पास पहुंची सभी अर्जियों को निरस्त कर दिया गया है। साथ ही ताकीद की गई है कि बिना सक्षम अनुमति के कोई भी आयोजन शहर में नहीं किया जा सकेगा। इसके विपरीत इकबाल मैदान में एक जनवरी से जारी सत्याग्रह में युवाओं का जुटना जारी है। उनका कहना है कि पाबंदी आदेश में स्पष्ट किए गए शहर के विभिन्न क्षेत्रों और स्थानों में इकबाल मैदान का जिक्र नहीं है।