भोपाल| शिक्षा विभाग पांचवीं व आठवीं कक्षा के लिए बोर्ड परीक्षा आयोजित करने की तैयारी में जुटा है। शिक्षा गुणवत्ता अभियान को बेहतर बनाने के लिए यह निर्णय सरकार ने लिया है। इससे पहले वर्ष 2009 में आखिरी बार बोर्ड परीक्षा ली गई थी। पहले बच्चे अपने मार्क्स पर ज़्यादा ध्यान नहीं देते थे, उन्हें लगता था कि स्कूल से पासिंग मार्क्स तो मिल जाएंगे| लेकिन अब 5वीं-8वीं क्लास की परीक्षा पास करना चुनौती होगी| हालांकि छात्रों को परीक्षा के माध्यम से दूसरा मौका सफल होने के लिए मिलेगा|
पांचवीं और आठवीं कक्षा में पूरे विषय में भी फेल होने वाले स्टूडेंट्स दो महीने बाद दोबारा परीक्षा दे सकेंगे। यदि ये दोबारा फिर फेल हुए तो भी इन्हें बतौर रेगुलर स्टूडेंट्स क्लास में एडमिशन मिल जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसके लिए गजट नोटिफिकेशन लाने की तैयारी कर ली है। इसके लिए विधि विभाग ने भी मंजूरी दे दी है। नोटिफिकेशन का प्रकाशन जल्द हो सकता है।
साल 2010 से पांचवीं, आठवीं की बोर्ड की परीक्षा समाप्त कर दी गई थी। बोर्ड परीक्षा शुरू करने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र शासन के पास प्रस्ताव भेजा था। केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी भी दे दी है। मध्यप्रदेश सहित छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र आदि राज्यों में भी बोर्ड परीक्षा शुरू करने के लिए केंद्र की मंजूरी मिली है। राइट टू एजुकेशन विधेयक में संशोधन के बाद प्रदेश में इसको लेकर तैयारी शुरू हो गई है| स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि विधि विभाग से इसकी अनुमति मिल गई है। प्रदेश में शिक्षा की बेहतरी के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। 2009 में शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद पांचवीं-आठवीं की परीक्षा को परीक्षा नहीं बल्कि मूल्यांकन कहा जाता था। यह काम बोर्ड के तहत नहीं बल्कि लोकल लेवल पर होने लगा था। स्टूडेंट्स को फेल या पास नहीं माना जाता था। विषयों में कम नंबर आने पर दक्षता के आधार पर दोबारा मूल्यांकन कर अपग्रेड कर अगली क्लास में भेज दिया जाता था। पिछले दिनों भारत सरकार ने इस कानून में संशोधन कर दिया था। इस पर राज्य सरकारों को अमल करते हुए दिशा निर्देश जारी करना था।