MP ELECTION : शिवराज सरकार के इन 12 मंत्रियों पर मंडरा रहा हार का खतरा

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भोपाल।

कमजोर स्थिति को देखते हुए इस बार टिकट बंटवारे के समय भाजपा द्वारा कई मंत्रियों का टिकट काटा गया था। वही कईयों पर भरोसा जताकर उन्हें फिर मौका दिया गया था।लेकिन अब पार्टी का ये भरोसा टूटता हुआ नजर आ रहा है। इस बार शिवराज सरकार के कई मंत्रियों पर हार का खतरा मंडराता हुआ दिखाई दे है। कई सीटों पर समीकरणों में बदलाव नजर आ रहा है। कहीं भाजपा के बागियों ने इन मंत्रियों का संकट बढ़ाया है तो कहीं एंटी-इंकम्बेंसी भारी पड़ रही है।वही कांग्रेस के अलावा अन्य दलों ने भी त्रिकोणीय मुकाबला कर भाजपा के लिए संघर्ष की स्थिति पैदा कर दी है। पिछली बार की बात करे तो करीब दस मंत्री को पराजित होना पड़ा था और इस बार 12  मंत्री डेंजर जोन में चल रहे है। वही वोटरों के मौन ने भी भाजपा की मुश्किलें और बढ़ा रखी है।मंत्रियों के साथ साथ पार्टी के बड़े नेताओं के माथे पर भी चिंता की लकीरें उभर आई है। हालांकि फैसला क्या होगा, किसकी जीत होगी और किसकी हार, कौन मंत्री अपनी सीट बचा पाएगा और कौन नही । इन तमाम सवालों के जवाब 11  दिसंबर को ही मिलेंगें। 

इन मंत्रियों की सीट खतरे में

जयंत मलैया

2018 में मतदान 74.34 प्रतिशत

पिछली बार दमोह में महज 4953 मतों से चुनाव जीते थे। इस बार त्रिकोणीय संघर्ष में फंसे हैं। यहां भाजपा के बागी पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया ने उनकी मुश्किल बढ़ा दी है। कांग्रेस के प्रत्याशी राहुल लोधी ने भी लोधी वोटों को प्रभावित किया है।

रुस्तम सिंह

2018 में मतदान 62.98 प्रतिशत

मुरैना से पिछला चुनाव महज 1700 मतों से जीते थे। इस बार यहां बसपा से दिमनी के विधायक बलबीर सिंह दंडोतिया और कांग्रेस के रघुराज ङ्क्षसह कंसाना उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। मुरैना में पिछले चुनाव की तुलना में तीन फीसदी ज्यादा मतदान हुआ है।

उमाशंकर गुप्ता

2018 में मतदान 62.58 प्रतिशत

भोपाल दक्षिण-पश्चिम से 2013 में 18 हजार मतों से जीते थे। इस बार कांग्रेस के पीसी शर्मा कड़ी टक्कर दे रहे हैं। आम आदमी पार्टी के आलोक अग्रवाल ने भी मुश्किल बढ़ाई है। राजधानी की इस सीट पर डेढ़ फीसदी वोट पिछले चुनाव की तुलना में कम हुआ है।

राजेंद्र शुक्ला

2018 में मतदान 66.13 प्रतिशत

सिलवानी से पिछला चुनाव 17 हजार मतों से जीते थे। उदयपुरा से लडऩा चाहते थे, लेकिन संगठन ने सीट नहीं बदली। यहां रामपाल की बहू की आत्महत्या मामले में रघुवंशी समाज में नाराजगी है। कांगे्रस के देवेंद्र पटेल व सपा के प्रदेश अध्यक्ष गौरीसिंह यादव ने मुश्किल खड़ी की है।

भूपेंद्र सिंह

2018 में मतदान 81.25 प्रतिशत

खुरई सीट से पिछला चुनाव 6 हजार मतों से जीते थे। 2008 में भूपेंद्र को चुनाव हराने वाले कांग्रेस प्रत्याशी अरुणोदय चौबे फिर मैदान में हैं। खुरई सीट पर पिछले चुनाव की तुलना में साढ़े 5त्न मतदान बढ़ा है। तेजी से मतदान बढऩा भी चिंता का एक विषय है।

जयभान सिंह पवैया 

2018 में मतदान 55.05 प्रतिशत

ग्वालियर विधानसभा सीट पर पवैया 2013 के चुनाव में 15561 मतों से जीते थे। कांग्रेस के प्रद्युम्र सिंह तोमर इस बार उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। हालांकि ग्वालियर सीट पर इस बार पिछले चुनाव की तुलना में साढ़े पांच प्रतिशत कम मतदान हुआ है।

शरद जैन

2018 में मतदान 63.79 प्रतिशत

जबलपुर उत्तर से 2013 में 33563 मतों से जीते थे। इस बार भाजपा के बागी धीरज पटेरिया व कांग्रेस के विनय सक्सेना ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। मंत्री होने के बाद भी मतदान 

के पहले क्षेत्र में बेकाबू हुए चिकनगुनिया व डेंगू से जनता में नाराजगी है।

सुरेंद्र पटवा

2018 में मतदान 77.72 प्रतिशत

भोजपुर से पिछला चुनाव 20 हजार मतों से जीते थे। पटवा के लिए यहां कांग्रेस के दिग्गज नेता सुरेश पचौरी ने मुश्किल खड़ी कर रखी है। पटवा की सीट पर पिछले चुनाव की तुलना में इस बार अप्रत्याशित रूप से साढ़े पांच फीसदी ज्यादा मतदान हुआ है।


ललिता यादव

2018 में मतदा�� 70.08 प्रतिशत

पिछला विधानसभा चुनाव ललिता यादव ने छतरपुर से जीता था, लेकिन इस बार सीट बदलकर मलहरा पहुंचीं। यहां स्थानीय नेताओं का सहयोग नहीं मिलने के कारण स्थिति कमजोर है। यहां भाजपा के बागी सुनील घुवारा ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है।


लालसिंह आर्य

2018 में मतदान 59.30 प्रतिशत

पिछला चुनाव गोहद विधानसभा सीट से 19814 मतों से जीते थे, लेकिन इस बार कांग्रेस प्रत्याशी रणवीर जाटव टक्कर दे रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी ने यहां से व्यापमं के आरोपी जगदीश सगर को उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय कर दिया है।


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