राज्य शासन ने IPS अरविंद तिवारी की निलंबन अवधि बढ़ाई, ये है कारण

Atul Saxena
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IPS suspension period extended : निलंबित IPS अधिकारी अरविंद तिवारी की निलंबन की अवधि को राज्य शासन ने बढ़ा दिया है। गृह विभाग ने इसका आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि  19 सितंबर को जारी निलंबन आदेश की अवधि 16 नवंबर को समाप्त हो रही है जिसे अब 120 दिन के लिए और बढ़ाया जाता है।

मप्र गृह विभाग ने एक आदेश जारी कर कहा कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक झाबुआ अरविंद तिवारी को 19 सितंबर 2022 को निलंबित करने के बाद भारत सरकार गृह मंत्रालय से पत्र लिखा गया था।  17 अक्टूबर को 2022 को गृह मंत्रालय भारत सरकार ने IPS अरविंद तिवारी निलंबन के लिए सहमति दी थी और निलंबित अधिकारी के विरुद्ध 16 नवंबर 2022 तक आरोप पत्र जारी किये जाने के निर्देश दिए थे।

समिति ने की निलंबन की समीक्षा

आदेश के बाद 4 नवंबर 2022 को आईपीएस अरविंद तिवारी के निलंबन (IPS Arvind Tiwari suspension) की समीक्षा की गई जिसमें पाया गया कि 3 नवम्बर 2022 को अरविंद तिवारी को आरोप पत्र जारी किये गए थे जिसका जवाब अभी तक उनकी तरफ से नहीं दिया गया।  उनकी 60 दिन की निलंबन अवधि 16 नवंबर 2022 तक है , आरोप पत्र का जवाब अभी तक नहीं आने  की स्थिति में इस प्रकरण के निराकरण में और समय लग सकता है।

120 दिन और बढ़ाई निलंबन अवधि

समिति ने अपना अभिमत देते हुए कहा कि चूँकि आरोप पत्र का जवाब अरविंद तिवारी की तरफ से अभी तक नहीं आया है, प्रकरण ने और समय लगेगा इसलिये उनके निलंबन की अवधि को बढ़ाये जाने का पर्याप्त आधार है। इस आधार पर राज्य शासन के गृह विभाग ने नियमों के देखते हुए निलंबित आईपीएस तत्कालीन झाबुआ एसपी अरविंद तिवारी के निलंबन की अवधि को 120 दिन और बढ़ा दिया है।

ये था पूरा मामला

आपको बता दें कि झाबुआ जिले के तत्कालीन एसपी आईपीएस अरविंद तिवारी की ऑडियो क्लिप 18 सितंबर 2022 सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। इसमें वे पॉलिटेक्निक कॉलेज के छात्रों के साथ अभद्र भाषा में बात करते सुनाई दे  रहे थे।  सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो वरिष्ठ अधिकारियों तक भी पहुंचा और उन्होंने प्राथमिक जांच के बाद एसपी को 19 सितंबर 2022 निलंबित (IPS Arvind Tiwari suspended) कर दिया।

 

राज्य शासन ने IPS अरविंद तिवारी की निलंबन अवधि बढ़ाई, ये है कारण


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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