ठंडे बस्ते में खनिज नीति में संशोधन का प्रस्ताव, चुनाव बाद ही होगा फैसला

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भोपाल। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने खनिज नीति में संशोधन करने के निर्देश दिए थे। खनिज विभाग की ओर से खनिज नीति में संशोधन का प्रारूप पिछले महीने मुख्यमंत्री सचिवालय को भेज दिया था, लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री कमलनाथ ने खनिज नीति में संशोधन के प्रस्ताव को मंंजूरी नहीं दी है। ऐसे में संभावना है कि लोकसभा चुनाव से पहले नीति में संशोधन नहीं हो पाएगा। 

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सत्ता की कमान संभालते ही मौजूद खनिज नीति में संशोधन का प्रस्ताव विभाग से 10 दिन के भीतर बुलवाया था। साथ ही निर्देश दिए थे कि मौजूदा खनिज नीति से पंचायतों का भला नहीं हो रहा है, नहीं पंचायतों द्वारा रेत खदानों का संचालन ठीक से किया जा रहा है। जिससे राजस्व की हानि भी हो रही है। इसके लिए नीति में जरूरी सुधार की जरूरत है। इसके बाद विभाग की ओर से रेत खदानों में उत्खनन से लेकर परिवहन तक का नया प्रारूप बनाकर मुख्यमंत्री सचिवालय को भेज दिया था, लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री कमलनाथ ने खनन नीति को मंजूरी नहीं दी है। न ही प्रस्ताव विभाग को लौटाया है। बताया गया कि सरकार फिलहाल रेत नीति को बदलने को तैयार नहीं है। इसका फैसला लोकसभा चुनाव के बाद ही हो सकता है। 

पुरानी नीति बनाकर भेज दी

खनिज विभाग ने मुख्यमंत्री सचिवालय को जो नीति बनाकर भेजी है, वह शिवराज सरकार के समय की है। लेकिन शिवराज सरकार ने उस नीति पर अमल नहीं किया था। नई नीति के तहत रेत खदानों का संचालन ग्राम पंचायतों की समितियां करेंगी। लेकिन रॉयल्टी की राशि पंचायतों और कलेक्टर के खाते में जाएगी। रेत ऑन कॉल डिलेवरी की जाएगी। इसके लिए एक कॉमन नंबर जारी किया जाएगा, जिसके जरिए कोईभी व्यक्ति प्रदेश के किसी भी हिस्से में रेत बुला सकेगाा। इसके लिए प्रदेश के सभी जिलों में रेत डिपो खोले जाने का प्रावधान है। रेत परिवहन करने वाले वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगा होगा। इसी तरह माइनर-मिनरल वाली छोटी खदानों का संचालन भी पंचायतों के नियंत्रण में समितियों के माध्यम से किया जाएगा। 

पंचायतों को नाराज करने में पक्ष में नहीं सरकार

कमलनाथ सरकार ग्राम पंचायतों को अधिकार संपन्न बनाने के पक्ष में है। लेकिन फिलहाल रेत खदान संचालन का काम पंचायतोंं से छीनने के पक्ष में भी नहीं है। इसके पीछे की वजह यह है कि यदि सरकार ने खदान संचालन का अधिकार पंचायतों से वापस लिया तो इससे पंचायतों के हित प्रभावित होंगे, जिसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। यही वजह है कि राज्य सरकार ने पंचायतों से खदान संचालक के अधिकारों में कोई संशोधन फिलहाल नहीं किया है। 

हमने नीति बनाकर भेज दी है। अभी खनन नीति संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली है। जैसे ही मंजूरी मिलेगी, अमल कराएंगे।

एनएस परमार, सचिव, खनिज


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