भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मातृभाषा हिंदी के प्रचार प्रसार और हिंदी माध्यम में शिक्षा देने के उद्देश्य अटल बिहारी वाजपई हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। लगभग 11 साल गुजरने के बाद भी यहां नियमित शिक्षकों की भर्ती नहीं हो सकी। हाल ही में विश्वविद्यालय ने भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था जिस में आरक्षण संबंधित विवाद होने पर विश्वविद्यालय ने विषय और आरक्षण से जुड़े बदलाव कर फिर से विज्ञापन जारी किया था। लेकिन नए विज्ञापन को लेकर भी कई लोगों ने अपनी आपत्ति जताई है।
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भोपाल लोकसभा क्षेत्र की सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भोपाल के डॉ राहुल ने विज्ञापन में सामान्य प्रशासन विभाग के नियमों की अनदेखी करने का ज्ञापन देकर विज्ञापन निरस्त करने की मांग की है। गौरतलब है कि विश्वविद्यालय ने 18 विषय के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर का विज्ञापन जारी किया था। आवेदक ने अपने ज्ञापन में बताया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट जबलपुर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन और मध्यप्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग के दिशा निर्देश अनुसार एक विषय में एक से ज्यादा पद होने पर ही आरक्षण रोस्टर लागू होता है। जबकि अटल बिहारी वाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय के विज्ञापन में एक विषय में एक ही पद पर भर्ती की जा रही है। इस मामले में माननीय सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव को पत्र लिखकर मामले की जांच और कार्रवाई करने के लिए कहा है।
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उच्च शिक्षा विभाग ने नवंबर 2017 में जारी अपने आदेश में कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला देते हुए आरक्षण रोस्टर के पालन के लिए सभी यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को पत्र लिखा था। सामान्य प्रशासन विभाग ने 6 जनवरी 2022 को एक पत्र जारी कर सीधी भर्ती के मामले में मॉडल रोस्टर दिया था। इस रोस्टर के अनुसार शुरुआती नियुक्तियों में पहला पद अनारक्षित इसके बाद दूसरा पद ओबीसी जबकि तीसरा अनुसूचित जाति जनजाति के क्रम में लिया जाएगा।
यहां हुई गफलत
सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश के पहले उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आरक्षण रोस्टर के संबंध में जनवरी 2020 में एक आदेश जारी किया गया जिसमें स्पष्ट लिखा गया कि विश्वविद्यालय को यूनिट मानते हुए रोस्टर लगाया जाए। जबकि इसके पूर्व विभाग द्वारा ही जारी पत्र में कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए विषय या विभागवार रोस्टर लगाने की बात कही गई थी।