MP News : व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने के सीएम डॉ मोहन यादव के प्रयासों को पलीता लगाते अफसर, व्यावसायिक प्रशिक्षकों ने किया विरोध प्रदर्शन

मध्यप्रदेश में अब तक केंद्र से प्राप्त निर्देशों का पालन तक नहीं हुआ। विभागीय अधिकारियों की अनदेखी कि वजह से व्यावसायिक शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक प्रशिक्षकों के हित भी प्रभावित होते आएं है विभाग द्वारा अनुबंध आधारित जवाब देते हुए इनकी मानवीय दृष्टिकोण से जायज माँगो से पल्ला झाड़ते आया है।

Vocational trainers protested

MP News : मध्य प्रदेश देश का वो पहला राज्य है जिसने नई शिक्षा नीति 2020 को लागू किया था, उस समय मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री थे, उन्होंने कॉलेजों में व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम बनाये और उनके ही सुझावों पर सरकार ने कक्षा 9 से 12 तक व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू किये , मुख्यमंत्री बनने के बाद भी डॉ मोहन यादव व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दे रहे हैं   लेकिन शिक्षा विभाग में बैठे आला अधिकारी इसमें पलीता लगा रहे हैं।

व्यावसायिक शिक्षा के प्रति उदासीन अफसर 

शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही और मनमानी के परेशान सैकड़ों व्यावसायिक प्रशिक्षक आज भोपाल की सड़कों पर दिखाई दिए उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया, प्रदर्शनकारियों ने कहा – मध्य प्रदेश में 10 वर्षों में शासकीय विद्यालयों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक व्यावसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है। जिसमें नियुक्त व्यावसायिक प्रशिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों कौशल का विकास कर उन्हें रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ा जाता रहा है। इसी व्यावसायिक शिक्षा के माध्यम से 10वीं और 12वीं के बोर्ड परिणामों में अत्यधिक सुधार हुआ है। परन्तु आला अधिकारी वर्ग शासन की नीतियों के खिलाफ तानाशाही रवैया अपनाए हुये हैं और व्यावसायिक शिक्षा के प्रति उदासीन बने हुए हैं।

स्कूल खुले लेकिन नहीं हैं व्यावसायिक शिक्षक 

आन्दोलनकारियों ने कहा कि पिछले कई वर्षों से नियुक्त 3300 से अधिक व्यावसायिक प्रशिक्षकों की सेवाएं आगामी आदेश तक समाप्त कर दी गई हैं। जबकि विद्यालय खुल चुके हैं और व्यावसायिक प्रशिक्षक न होने से विद्यालयों में व्यावसायिक विषयों में विद्यार्थियों के एडमिशन और कॉउंसलिंग न होने पर 3 लाख से अधिक विद्यार्थी प्रभावित हो रहे हैं। विद्यार्थी परेशान हो रहे हैं कि इस वर्ष व्यावसायिक शिक्षा में पढ़ाई होगी कि नहीं। विद्यालय स्तर पर पूरी तरह से असमंजस की स्थिति बनी हुई है। व्यावसायिक शिक्षा से सम्बंधित सभी काम भी प्रभावित हो रहे हैं।

9-10 वर्षों में व्यावसायिक प्रशिक्षकों की स्थिति दयनीय

प्रशिक्षकों ने कहा क व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत नियुक्त व्यावसायिक प्रशिक्षक व्यावसायिक शिक्षा के आधार स्तम्भ हैं जो विद्यार्थियों में कौशल का विकास कर उनका भविष्य सुरक्षित बनाते आएं हैं परन्तु विभागीय अनदेखी की वजह से आज इनका ही भविष्य अंधकारमय हो गया है।  9-10 वर्षों में व्यावसायिक प्रशिक्षकों की स्थिति दयनीय हो चुकी है। विभाग द्वारा विगत वर्षों में भी लगातार व्यावसायिक शिक्षा पर कुठाराघात किया गया है।

3300 से अधिक व्यावसायिक शिक्षकों को बेरोजगार कर दिया

उन्होंने कहा कि अफसरों की मनमानी के चलते किसी भी विषय को अचानक से बंद कर देना या उस विषय को पढ़ाने वालों की बार बार पात्रता बदल देना जिससे सैकड़ों शिक्षक बेरोजगार हो जाते रहे हैं और उक्त विषय को पढ़ने वाला विद्यार्थी भी प्रभावित होता रहा है। 9 वर्षों से इनके वेतन में लगातार 4-5 माह का विलंब होता आया है जो कि श्रम नियमों कर भी विरुद्ध है। इसी प्रकार इस वर्ष भी टेंडर रिवाइज के नाम पर हाल ही में फरमान निकालते हुए 3300 से अधिक व्यावसायिक शिक्षकों को बेरोजगार कर दिया गया है।

विभाग टेंडर रिवाइज के नाम पर दोबारा चयन प्रक्रिया करना चाहता है जो कि न्यायालय आदेशों के विरुद्ध है। माननीय हाईकोर्ट जबलपुर के आदेश अप्रैल 2021 के न्यायालय के आदेश अनुसार प्रतिवर्ष, संविदा से संविदा को प्रतिस्थापित करने का रवैया मनमाना व विधि विरुद्ध है। वर्तमान वोकेशनल ट्रेनर्स संविदा पर नियुक्त हैं व विधिनुसार एक संविदा को उसी स्थान पर संविदा या तदर्थ नियुक्ति करके सेवा से पृथक नहीं किया जा सकता है।

गौरतलब है कि विभाग द्वारा इन व्यावसायिक प्रशिक्षकों की नियुक्ति वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोवाईडर्स (आउटसोर्सिंग कम्पनी) के माध्यम से होती आई है। विगत वर्षों में शिक्षा विभाग में अधिकारियों द्वारा आउटसोर्सिंग को अत्यधिक बढ़ावा दिया गया है। जबकि केंद्र सरकार द्वारा 13 अगस्त 2018 को स्प्ष्ट निर्देश में जोर देकर कहा गया कि NSQF अंतर्गत नियुक्त व्यावसायिक प्रशिक्षकों को नियमित अथवा संविदात्मक नौकरियों में उपयुक्तता के अनुसार नियुक्त करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। आपको कार्मिकों की भर्ती करते समय इसका अनुपालन करने की आवश्यकता है और यदि आवश्यक हो, तो भर्ती नियमों में आवश्यक संशोधन भी शुरू किए जा सकते हैं।

इन निर्देश के अनुपालन में कई राज्यों ने व्यावसायिक प्रशिक्षकों की नियुक्ति नियमित अथवा संविदा पर करना सुनिश्चित किया एवं वीटीपी के माध्यम से आउटसोर्सिंग नियुक्ति समाप्त कर आउटसोर्स व्यावसायिक प्रशिक्षकों को संविदा अथवा नियमित नियुक्ति का लाभ दिया गया। परन्तु मध्यप्रदेश में अब तक केंद्र से प्राप्त निर्देशों का पालन तक नहीं हुआ। विभागीय अधिकारियों की अनदेखी कि वजह से व्यावसायिक शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक प्रशिक्षकों के हित भी प्रभावित होते आएं है विभाग द्वारा अनुबंध आधारित जवाब देते हुए इनकी मानवीय दृष्टिकोण से जायज माँगो से पल्ला झाड़ते आया है। जिसके कारण प्रदेश के हजारों व्यावसायिक प्रशिक्षकों में रोष और असंतोष व्याप्त हो गया है।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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