MP News: चयनित सब इंजीनियर्स और MBBS छात्रों ने भीख मांगकर किया सरकार का विरोध, बीजेपी को वोट न देने की ली शपथ, पढ़ें पूरी खबर

Manisha Kumari Pandey
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MP News: मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (व्यापम) के संयुक्त भर्ती परीक्षा में सब इंजीनियर के पद पर चयनित उम्मीदवार और मेडिकल छात्र शुक्रवार को शिवराज सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते नजर आए। छात्रों ने चयन और छात्रवृति की मांग को लेकर यह कदम उठाया है। राजधानी भोपाल के रोशनपुरा चौराहे पर तेज बारिश के बीच अभ्यर्थियों ने भीख मांगकर शासन के खिलाफ विरोध जताया। इस दौरान युवा हल्ला बोल के प्रदेश अध्यक्ष अरुणोदय सिंह परमार ने चयनित सब इंजीनियर्स और भावी डॉक्टर्स को भाजपा को वोट ना देने की शपथ दिलाई।

ये है विरोध प्रदर्शन की वजह 

दरअसल, मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (व्यापम) द्वारा नवंबर 2022 को आयोजित की गई संयुक्त भर्ती परीक्षा में सब इंजीनियर के पद पर चयनित अभ्यर्थियों को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किए गए 26 जून 2023 के आदेश के बाद होल्ड पर कर दिया गया। इन उम्मीदवारों का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन भी करवा लिया गया था। डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के समय इन अभ्यर्थियों से अन्य जॉब से त्यागपत्र भी मांगा गया था। जिसके कारण अभ्यर्थियों की पिछली जॉब भी चली गई। इस मामले में अभ्यर्थियों का कहना है कि, “हम से कम अंक लाने वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी गयी है और हमें ज्यादा अंक लाने के बावजूद भी होल्ड कर दिया गया है, जो अन्याय है।” वहीं मेडिकल स्टूडेंट का कहना है कि उनके स्कॉलरशिप में कटौती की जा रही है।

प्रशासन और विभाग पर अन्याय का आरोप

अभ्यर्थियों ने कहा कि, “31 विभाग में से लगभग 20 विभागों ने सभी अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी है। और कुछ विभागों ने 13℅ OBC अभ्यर्थियों को होल्ड कर दिया है। हमे होल्ड करने से मेरिट प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ है। जिससे एक ही वर्ग (ओबीसी) के कम नंबर वाले लोगों की नियुक्ति हो गई और अधिक नंबर वाले होल्ड हो गए। एक ही परीक्षा में ऐसा अन्यायपूर्ण व्यवहार प्रशासन और विभाग द्वारा हमारे साथ किया गया है।”

छात्रवृति को लेकर छात्रों ने क्या कहा?

मेडिकल छात्रों के मुताबिक मध्यप्रदेश के एम.बी.बी.एस. पोस्ट मैट्रिक (OBC) 2019, 2020 और 2021 बैच के छात्रों की छात्रवृत्ति में प्रतिवर्ष 15% की कटौती डेवलपमेंट चार्ज के रूप में की जा रही है। जबकि प्रवेश के समय पूर्ण छात्रवृत्ति मिलने का लिखित आश्वासन छात्रों को दिया गया था। इन छात्रों को प्रथम वर्ष छात्रवृत्ति मिली, लेकिन दूसरे वर्ष से कटौती होने लगी। प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की वार्षिक फीस लगभग 11-12 लाख रूपये है। जिसमें हर साल 15 प्रतिशत की कटौती होने के कारण एक छात्र को प्रतिवर्ष 1.5 से 2 लाख रुपये का आर्थिक बोझ झेलना पड़ता है। बता दें कि इन छात्रों का प्रवेश ही इस आधार पर हुआ था कि इनके परिवार की वार्षिक आय 3 लाख रुपये से कम हो.। इनके लिए प्रतिवर्ष 2 लाख की राशि जुटाना काफी मुश्किल है।

अरुणोदय सिंह परमार ने क्या कहा?

अरुणोदय सिंह परमार ने कहा, “आज मध्यप्रदेश के डॉक्टर्स और इंजीनियर्स सडक पर भीख मांगने को मजबूर है क्या यही है शिवराज सिंह जी का मॉडल?… क्या यही है डबल इंजन वाली सरकार का मॉडल? आज मेरा मानना है की देश के लिए, मध्यप्रदेश के लिए यह शर्मनाक है। आखिर जिस देश के डॉक्टर्स और इंजीनियर्स ही भीख मांगने पर मजबूर हो उस देश के, उस प्रदेश के मुखिया को हम कैसे योग्य व ईमानदार मान ले। जिस प्रदेश में मेरिटधारियों को होल्ड और कम नंबर वालों सरकारी नौकरी मिल जाए उस प्रदेश में हम कैसे भर्ती प्रक्रिया को घोटाला मुक्त मान ले। जिस प्रदेश के डॉक्टर्स की स्कॉलरशिप में प्रतिवर्ष की कटौती ही 2 लाख हो, उनके सालाना आय 3 लाख रुपये से कम होने के बावजूद, उस सरकार को हम कैसे ईमानदार मान ले। शिवराज सिंह जी की सरकार नौकरी देना तो दूर की बात, वो निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया, घोटाले मुक्त भर्ती प्रक्रिया और पूरी स्कॉलरशिप तक इस प्रदेश के युवाओं को नहीं दे पा रहे है। यह युवा विरोधी नहीं तो और क्या है?”

 


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