MPPSC 2019 : Re-Mains मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गठित की स्पेशल बेंच, 26 फरवरी को होने वाली सुनवाई की कल 30 जनवरी को होगी अर्जेंट हियरिंग

सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के बावजूद नियुक्ति पत्र दिए जाने को लेकर भी याचिकाकर्ता ने आपत्ति जताई है।

supreme court

MPPSC 2019 Petition : वर्ष 2019 की एमपीएससी परीक्षा के नियुक्ति पत्र सीएम मोहन यादव द्वारा चयनित अभ्यर्थियों को दे दिए गए हैं। लेकिन इसका विवाद है कि खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।

आपको बता दें कि कोर्ट में नॉर्मलाइजेशन और एक भर्ती परीक्षा के लिए दो मुख्य परीक्षाओं का आयोजित किया जाना इसके खिलाफ याचिका दायर की गई थी और इसे सिविल सर्विस नियम 2015 के खिलाफ बताया गया था। अब इस मामले में कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई रखी गई है।

याचिकाकर्ता आकाश पाठक ने बताया कि सिविल सर्विस नियम 2015 के अधीन दो मुख्य परीक्षाओं और नॉर्मलाइजेशन का प्रावधान नहीं है और इसको लेकर हम यह लड़ाई लड़ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के बावजूद नियुक्ति पत्र दिए जाने को लेकर भी याचिकाकर्ता ने आपत्ति जताई है।

क्या है मामला

आपको बता दें कि 2019 में हुई राज्य सेवा भर्ती परीक्षा कुल 571 पदों के लिए आयोजित की गई थी। तत्कालीन सरकार द्वारा संशोधित सिविल सर्विस सेवा 2015 नियम के अनुरूप परिणाम जारी किए गए थे। इसके खिलाफ हाईकोर्ट ने अप्रैल 2022 में निर्णय देते हुए संशोधित नियमों को असंवैधानिक घोषित करार दिया और साथ ही असंशोधित सिविल सर्विस नियम 2015 के तहत परीक्षा आयोजित करने के आदेश दिए।

आकाश ने बताया कि यह परीक्षा पिछले 4 साल से विवादों में है इसकी संपूर्ण प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के अधीन है और इतना ही नहीं राज्य सेवा आयोग ने भी याचिकाओं के अधीन अंतिम परिणाम जारी करते हुए यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि यह संपूर्ण परीक्षा परिणाम प्रावधिक है।

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अब इस पर याचिकाकर्ता आकाश पाठक का कहना है कि हम इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में तब तक लड़ते रहेंगे जब तक संविधान और कोर्ट हमें इसकी अनुमति देते हैं। यह परिणाम और प्रक्रिया निश्चित तौर पर न केवल संविधान के खिलाफ है बल्कि यह सीधे-सीधे संविधान के अनुच्छेद 14 समानता के मौलिक अधिकार का भी हनन है।

अब देखना यह होगा कि कल सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाती है।


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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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