MPPSC Recruitment, MPPSC Special Exam 2019 : एमपीपीएससी की उम्मीदवारों के लिए बड़ी खबर है। दरअसल स्पेशल परीक्षा 2019 का मसला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। जिसके लिए सुनवाई 28 अप्रैल को होगी। इसी बीच उम्मीदवारों द्वारा एमपीपीएससी 2019 स्पेशल परीक्षा को स्थगित करने की मांग की गई है।
ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा याचिका दायर
सुप्रीम कोर्ट में याचिका ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा दायर की गई है। जिसमें आवेदकों का कहना है कि हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेश संविधान के अनुच्छेद 14 के विरुद्ध है। इतना कहना है कि एक चयन भर्ती के लिए दो-दो अलग परीक्षाएं नहीं ली जा सकती। आवेदकों का कहना है हाईकोर्ट के आदेश के तहत आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की विशेष परीक्षा आयोजित कर उसके बाद नॉर्मलाइजेशन कर सभी उम्मीदवारों का साक्षात्कार कराया जाए। यह प्रक्रिया 6 महीने में संपन्न कराने के भी निर्देश दिए गए हैं।
एमपीपीएससी से परीक्षा स्थगित करने की मांग
जबकि आवेदकों का तर्क है कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की विशेष परीक्षा कराई जाती है तो उत्तर पुस्तिकाओं की जांच पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर की जाएगी। इसके साथ ही मूल्यांकन भी ऐसी परिस्थिति में किया जाएगा, जो कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के साथ अन्याय होगा। इसके साथ ही उम्मीदवारों ने स्पष्ट किया है कि मध्यप्रदेश राज्य परीक्षा सेवा नियम 2015 के किसी भी नियम में विशेष परीक्षा का प्रावधान नहीं है। जिसके बाद अब उम्मीदवारों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के साथ ही एमपीपीएससी से परीक्षा स्थगित करने की मांग शुरू कर दी गई है।
उच्चतम न्यायलय ने MPPSC को नोटिस कर मांगा जबाब
जिसमें उच्चतम न्यायलय ने मामले की मेरिट को परख कर MPPSC को नोटिस कर जबाब मांगा है। साथ ही 2019 परीक्षा की समस्त प्रक्रिया न्यायालय के अंतिम निर्णय के अधीन कर दी गई है। जिसमें अंतिम सुनवाई 28 अप्रैल को नियत की गई है।
ध्यान देने योग्य है कि आयोग द्वारा विशेष परीक्षा का आयोजन प्रकरण क्र. 542/2021 में न्यायालय द्वारा पारित निर्णय लिया गया है। जिसमें न्यायालय द्वारा समस्त प्रक्रिया न्यायालय के अंतिम निर्णय के अधीन कर दी गई थी। उसी फाइनल आर्डर के कारण ही विशेष परीक्षा का आयोजन कराया जा रहा है।
माना जा रहा है कि यही परिस्थिति दोबारा उच्चतम न्यायालय के (SLP-005817/2023) में भी निर्मित हो सकती है। साथ ही 2 अन्य याचिका 215/2023और 390/2023 अभी भी उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। इतना ही नहीं उम्मीदवारों द्वारा आयोग को सचेत किया गया है। जिसमें कहा गया कि 4 साल से उनका निरन्तर मानसिक और आर्थिक शोषण सरकार और आयोग द्वारा किया जा रहा है। इसलिए प्रक्रिया को वैधानिक तरीके से पूर्ण किया जाए। साथ ही निवेदन किया गया कि यदि माननीय सर्वोच्च अथवा उच्च न्यायालय का निर्णय आता है तो विशेष मैन्स परीक्षा कैंसिल होने पर आयोग जिम्मेदारी ले की।
सरकारी संशाधनों की बर्बादी की भरपाई MPPSC पदाधिकारियों द्वारा की जाए
उम्मीदवारों ने कहा है कि जिन सरकारी संशाधनों की बर्बादी इस परीक्षा को संपन्न करने में होगी, उसकी भरपाई आयोग के पदाधिकारियों द्वारा की जाए। विद्यार्थियों ने आयोग से निवेदन किया कि समय एवं धन की बर्बादी को रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश तक परीक्षा को स्थगित करें। उम्मीदवारों ने कहा है कि यदि SC के फाइनल जजमेंट के बाद सभी की मुख्यपरीक्षा हुई तो स्पेशल मेंस करवाने में जो संसाधनों का खर्च होगा। उसकी जिम्मेदारी आयोग के पदाधिकारियों की होगी क्योंकि यह सरकारी पैसा प्रदेश की जनता के टैक्स का पैसा है।