भोपाल।
सहायक प्राध्यापक नियुक्ति का विवाद अभी थमा ही नही था कि राज्य लोक सेवा आयोग ने नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। आयोग ने सहायक प्राध्यापक भर्ती में अजजा के आरक्षित पदों पर पिछड़ा वर्ग की नियुक्ति कर दी। गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन ने आरोप लगाया है कि पीएससी ने चयन सूची में अनुसूचित जनजाति के आरक्षित पदों पर ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों का चयन किया गया। यूनियन ने 24 नामों की एक सूची जारी करते हुए दावा किया गया है कि सितंबर में ही गड़बड़ी की शिकायत की गई थी, लेकिन इस पर कोई एक्शन नही लिया गया। इस नए विवाद को लेकर छात्रों में आक्रोश है और उन्होंने इसकी जांच की मांग की है।
दरअसल, करीब 25 वर्षों बाद 1992 में सरकारी कॉलेजों में सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षाके बाद 2014 से परीक्षा के लिए विज्ञापन जारी किया गया था, लेकिन कुछ कारणों के चलते निरस्त कर दिया गया। फिर 2015 में विज्ञापन जारी हुआ और निरस्त हो गया। इसके बाद 2017 में विज्ञापन जारी कर 2018 में भर्ती प्रक्रिया की गई। इसके साथ भी विवाद जुड़े लेकिन तमाम विवादों और कोर्ट केस के बाद जून 2018 में परीक्षा करवाई गई। लिखित परीक्षा के आधार पर पीएससी ने अगस्त में अंतिम परिणाम और चयन सूची जारी की। कुल 2536 उम्मीदवारों को चयनित घोषित किया गया। इस पर गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन ने आरोप लगाया है कि पीएससी ने चयन सूची में अनुसूचित जनजाति के आरक्षित पदों पर ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों का चयन किया गया। गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन का कहना है कि 14 सितंबर को शहडोल जिला कलेक्टर को मामले में बकायदा लिखित शिकायत के साथ 24 लोगों की सूची सौंपी गई थी। बावजूद इसके कोई एक्शन नही लिया गया और नियुक्ति कर दी गई।हैरानी की बात तो ये है कि चयन प्रक्रिया में पीएससी ने बिना कोई जांच व शासन की सूची की पुष्टि किए इन्हें आरक्षण का लाभ भी दे दिया। जिसको लेकर अब सवाल उठ रहे है। यूनियन ने सरकार से इसकी शिकायत कर जांच की मांग की है।
बता दे कि यह पहला मौका नही जब एमपीपीएससी ने गड़बड़ी की हो। इसके पहले भी कई परीक्षाओं में गड़बड़िया सामने आई और विवाद कोर्ट तक पहुंचा है। लेकिन हर बार विवाद को या तो टाल दिया जाता है या फिर आश्वसन देकर कार्रवाई की बात कह दी जाती है, लेकिन समाधान नही निकाला जाता । चुंकी अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि कुछ सुधार और बदलाव हो।