वचन पत्र पर सियासत : नरोत्तम मिश्रा बोले- यह कमलनाथ का कपट पत्र, जनता को जवाब दे कांग्रेस

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश उपचुनाव (Madhya Pradesh by-election) के लिए कांग्रेस (Congress) के द्वारा घोषित किए गए वचन पत्र (Promissory note) को बीजेपी (BJP) ने कमलनाथ का कपटपत्र बताया है। मध्य प्रदेश के गृह एवं जेल मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा (Dr. Narottam Mishra) का कहना है कि वास्तव में यह कमलनाथ का कपट पत्र है और कांग्रेस को जनता को इस बात का जवाब देना चाहिए कि वास्तव में उसने विधानसभा चुनाव 2018 (MP Assembly Elections 2018) में जो वचन दिए थे उसमें से कितने वचन को पूरे कर पाई ।

नरोत्तम ने आगे कहा कि इस विधानसभा उपचुनाव के वचन पत्र के बाद जब नगरीय निकायों के चुनाव होंगे तो कांग्रेस उनके भी वचन पत्र जारी करेगी और उसके बाद वार्डो के भी वचन पत्र जारी होंगे लेकिन वास्तविकता में अमल किसी पर नहीं होना। कमलनाथ  (Kamalnath) पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि वह बताएं कि उन्हीं के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने जब किसानो का दो लाख रू तक का कर्जा दस दिन के भीतर माफ करने की घोषणा की थी तो उस पर अमल क्यों नहीं किया गया। एक भी किसान मध्यप्रदेश में ऐसा बता दें जिस का दो लाख रू का कर्जा माफ हुआ हो ।यह पूछे जाने पर कि सिंधिया परिवार की रानी लक्ष्मीबाई (Rani Lakshmi Bai) के प्रति 1857 के रवैये को कांग्रेस गद्दारी बता रही है।

नरोत्तम ने कहा कि कांग्रेस को इतिहास से ज्यादा अब अपना भूगोल देख लेना चाहिए। एक समय कश्मीर से कन्याकुमारी तक राज्य करने वाली पार्टी अब कहां तक सिमट कर रह गई है यह सचमुच चिंता का विषय है और आने वाले समय में कांग्रेस का जो हश्र होने वाला है ,कांग्रेस ढूंढने पर भी नहीं मिलेगी। कमलनाथ के एक वायरल वीडियो (Viral Video) में, जिसमें कमलनाथ कह रहे हैं कि आखिर मेरा क्या कसूर था जो मेरी सरकार गिरा दी गई, नरोत्तम ने कहा कि सरकार वास्तव में कमलनाथ ने ही गिराई।वे सरकार को संभाल नहीं पाए इसीलिए सरकार गिर गई और इसमें किसी और की नहीं कुछ कमलनाथ की ही गलती है ।नरोत्तम ने यह भी सवाल किया कि जब कमलनाथ मुख्यमंत्री थे तब एक भी बार ना तो ग्वालियर गए और ना ही रानी लक्ष्मीबाई की देशभर में स्थापित किसी प्रतिमा पर। ऐसे में अब उनका इस तरह की बातें करना सिवाय नौटंकी के कुछ भी नहीं।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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