भोपाल।
मध्यप्रदेश में सत्ता के परिवर्तित होते ही तबादलों का दौर तेजी से चल रहा है। आए दिन दर्जनों अफसरों के ट्रांसफर किए जा रहे है। लोकसभा चुनाव से पहले सरकार अपने हिसाब से प्रशासनिक जमावट में लगी हुई है।अब तक सालों से एक ही जगह जमे अफसरों समेत कई दर्जन अधिकारियों के तबादले कर दिए गए हैं। वहीं कई अधिकारियों को तो एक माह के भीतर ही दो बार तबादले कर दिए, खास बात तो ये है कि अभी तक मुख्यमंत्री और मंत्री के कहने पर ही तबादले किए जाते रहे है लेकिन सीएम ने अब विधायकों को भी ये हक दे दिया है कि वे किसी का भी तबादला करवा सकते है। ऐसे में उन अफसरों की मुश्किलें बढ़ना तय है जिनकी विधायकों से ठनी पड़ी है। सरकार के इस फैसले के बाद अधिकारियों में खलबली मच गई है।
दरअसल, सीएम मॉनिट में विधायकों ने भी अफसरों के तबादले के लिए आवेदन दिया था, करीब सौ से ज्यादा आवेदन प्राप्त किए गए है, जिसमें पंचायत एवं ग्रामीण विकास, आबकारी, पुलिस व नगरीय विकास विभाग के किसी ना किसी अधिकारी के तबादले की बात कही गई है। जिसे मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्वीकार कर लिया है और मुख्य सचिव एसआर मोहंती को निर्देश देते हुए कहा है कि विधायकों की मांगे पूरी की जाए। हालांकि इसमें से कमलनाथ ने ए व ए प्लस कैटेगरी के ट्रांसफर आवेदनों को मंजूरी देने के ही निर्देश दिए हैं, जिनकी संख्या करीब 60 के आसपास बताई जा रही है। बताते चले कि अभी तक साठ दिन में कमलनाथ सरकार साढ़े सात सौ तबादले कर चुकी हैं। इस नए निर्देशों के बाद इनकी संख्या एक हजार से ऊपर निकल सकती है। आने वाले दिनों मे फिर तबाड़तोड़ तबादले किए जा सकते है।
विपक्ष उठा रहा सवाल
वही लगातार तबादलों को लेकर विपक्ष सरकार का जमकर घेराव किए हुए है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज से लेकर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव तक इसको लेकर सवाल खडे कर चुके है।शिवराज का कहना है कि सरकार तबादलों में ही उलझी है काम पर ध्यान नही,इससे अधिकारियों का मनोबल टूटता है, अधिकारी में तेरा-मेरा नही होना चाहिए। वही भार्गव का कहना है कि तबादलों से माफिया सक्रिय हो रहे है।मप्र में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है।