पंचायती राज चुनाव और 13 तारीख का साया

Published on -

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश में पंचायत निर्वाचन 2021-22 के प्रथम और द्वितीय चरण के लिए 13 दिसंबर को नामांकन फॉर्म भरने शुरू हो गए है। हैरत की बात यह है कि पहले दिन केवल 17 अभ्यर्थियों ने पूरे प्रदेश भर में अपने फॉर्म जमा किए। इससे एक बार फिर यह सवाल पैदा हो गया है कि क्या वास्तव में 13 नंबर आज भी लोगों की नजर मे अशुभ है।

यह भी पढ़े.. BJP पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा, देखिए लिस्ट

तीन चरणों में होने वाले पंचायती राज चुनावों के लिए नामांकन दाखिले की शुरुआत सोमवार से हो गई। राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव बीएस जामोद ने बताया कि पहले दिन यानी 13 दिसंबर को कुल 17 लोगों ने अपने नामांकन दाखिल किए। इनमें 5 महिला अभ्यर्थी भी शामिल हैं। शाम 6 बजे तक मिली जानकारी के अनुसार जिला पंचायत सदस्य के लिए एक, जनपद पंचायत सदस्य के लिए एक, सरपंच पद के लिए 12 और पंच पद के लिए 3 लोगों ने अपने फॉर्म जमा किए। हालांकि पहले चरण में भोपाल इंदौर ग्वालियर सहित नौ जिलों में और दूसरे चरण में 7 जिलों में चुनाव होने हैं जिनके नामांकन भरने शुरू हो गए हैं।

यह भी पढ़े.. बार में पुलिस ने मारा छापा, तहखाने में छिपी मिली 17 लड़कियाँ

अगर आंकड़ों की बात की जाए तो पंच सरपंच सहित सभी पदों के लिए हजारों की संख्या में नामांकन दाखिल होने हैं। लेकिन पहले दिन केवल 17 नामांकन दाखिल हुए। तो क्या इसकी वजह 13 तारीख बनी? शायद हां, क्योंकि आज भी 13 तारीख को अशुभ माना जाता है और कोई भी व्यक्ति शुभ कार्य करने के लिए इस तारीख को टालने का इंतजार करता है। अगर भारत की ही बात करें चंडीगढ़ जैसे विकसित शहर में सेक्टर 13 नहीं है। कई एयरलाइन में भी 13 नंबर की सीट लाइन नहीं होती। प्रधानमंत्री रहे स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई की सरकार पहली बार 13 दिन चली, दूसरी बार 13 महीने। होटलों में भी लोग 13 नंबर का रूम लेना पसंद नहीं करते और रेस्टोरेंट में भी 13 नंबर टेबल नहीं होती।! मनोविज्ञान 13 अंक के इस डर को ट्रिस्काइडेकाफोबिया या थर्टीन डिजिट फोबिया मानता है। ऐसा लगता है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी 13 नंबर के इस भय से मुक्त नहीं हो पाए हैं और चुनाव में मात्र 17 नामांकन फार्म होना इसका जीता जागता प्रमाण है।


About Author

Harpreet Kaur

Other Latest News