भोपाल| मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में मिली जीत से कांग्रेस उत्साहित है और इस प्रदर्शन को लोकसभा चुनाव में भी बरक़रार रखना चाहती है| जिसके चलते कांग्रेस तैयारियों में जुटी हुई है| विधानसभा चुनाव परिणाम के आधार पर जिन लोकसभा सीटों से भाजपा से ज्यादा विधायक जीतकर आए हैं, वहां विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इनमें ज्यादातर सीटें ग्वालियर-चंबल, मालवा-निमाड़ और महाकोशल की हैं। अब इन इलाकों में आने वाली लोकसभा सीटों पर विशेष रणनीति बनाकर कांग्रेस मैदान में उतर रही है|
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 114 सीटें जीती हैं| उनमें से लगभग 80 फीसदी इन्हीं इलाकों की हैं, जिनके दम पर राज्य में सरकार बनी है। अब इनके ही सहारे केंद्र में भी सरकार बनाने के लिए ज्यादा सीटें जिताकर देने में पार्टी जुटी है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली 114 सीटों में 89 का आंकड़ा अकेले ग्वालियर-चंबल, महाकोशल और निमाड़-मालवा का है। मालवा निमाड़ से कांग्रेस ने 40 सीटें जीती हैं तो महाकोशल से 25 और ग्वालियर चंबल से 24 सीटें कांग्रेस के खाते में आई हैं। इन सीटों पर कांग्रेस मजबूत हो गई है और लोकसभा चुनाव की तैयारी में भी कांग्रेस यहां भाजपा से आगे है| हालाँकि भाजपा भी नए सिरे से तैयारी में जुटी हुई है, लेकिन सांसदों के विरोध और प्रत्याशी चयन बड़ा फैक्टर साबित होगा| जिसके चलते बीजेपी भी अपने गढ़ को बचाने की कवायद में जुटी हुई है|
विधानसभा चुनाव परिणामों के आधार पर छिंदवाड़ा, मंडला, बालाघाट, भिंड, मुरैना, ग्वालियर, गुना, दमोह, राजगढ़, उज्जैन, रतलाम, धार, खरगोन और खंडवा सीटों पर कांग्रेस भाजपा से काफी आगे है। मगर इंदौर, जबलपुर, शहडोल, देवास और बैतूल लोकसभा सीटों पर भाजपा के साथ बराबरी पर खड़ी है। भोपाल, होशंगाबाद, विदिशा, रीवा, सीधी, सागर, टीकमगढ़, खजुराहो, सतना और मंदसौर में पार्टी की हालत खराब है। कांग्रेस को लग रहा है कि विधानसभा चुनाव में प्रदेश में जैसा माहौल था, उससे ज्यादा अच्छा माहौल सरकार बनने के बाद हो गया है।किसान कर्जमाफी समेत कांग्रेस वचन पत्र के वचनों को समयसीमा के अंतर्गत पूरा करने से अनुकूल माहौल बना है। इसके विपरीत भाजपा में शिवराज सिंह चौहान के फ्रंट पर न रहने का भी फायदा मिल सकता है।