पहले चरण की छह सीटों पर दांव पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा, राकेश-नाथ की अग्निपरीक्षा

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भोपाल| लोकसभा चुनाव को लेकर मध्य प्रदेश में  29 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होना है| इस दिन जिन छह सीटों पर वोटिंग होगी उनमें सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला,बालाघाट और छिंदवाड़ा शामिल हैं। यहां भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेता मैदान में है तो वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर है| दोनों ही नेता चुनावी मैदान में भी हैं और अपने गढ़ को बचाने के लिए भी जोर लगा रहे हैं| 

पहले चरण के मतदान में कमलनाथ और राकेश सिंह के अलावा अजय सिंह, विवेक तन्खा और फग्गन सिंह कुलस्ते जैसे दिग्गज नेताओं के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद हो जाएगा। दोनों ही पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है| कांग्रेस से जहां राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और अन्य स्टार प्रचारक तबाड़तोड़ सभाएं कर रहे हैं तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुक्रवार को दो चुनावी सभाएं हैं, वहीं अमित शाह, शिवराज सिंह चौहान, राकेश सिंह की भी क्षेत्र में सभाएं हो रही हैं| 

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इन छह सीटों पर दिग्गज की साख दांव पर 

छिंदवाड़ा : कमलनाथ की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे नकुलनाथ का चुनावी राजनीति में पहला कदम है। नकुल के कंधों पर पिता की राजनीतिक विरासत और जनता की अपेक्षाओं का भार है। २०१४ में मोदी लहर के बाद भी कमलनाथ ने भाजपा के चौधरी चंद्रभान सिंह को एक लाख से ज्यादा मतों से हराया था। कमलनाथ यहां से नौ बार सांसद रहे हैं। नकुल का मुकाबला भाजपा के आदिवासी नेता नत्थन शाह कवरेती से हैं। 

जबलपुर : प्रदेश के पहले चरण के मतदान वाली सीटों में जबलपुर भी शुमार है। जबलपुर से हैट्रिक बना चुके राकेश सिंह के सामने इस बार कई चुनौतियां हैं। इस बार उनका मुकाबला फिर से कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा से है। २०१४ के मुकाबले अब हालात बदल चुके हैं। विधानसभा चुनाव में जबलपुर का राजनीतिक परिदृश्य भी बदला है। 

सीधी : कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय सिंह और भाजपा की रीति पाठक के बीच यहां कांटे का मुकाबला है। अजय सिंह को राजनीतिक प्रतिष्ठा बचानी है तो रीति पाठक के सामने सीट बचाने की चुनौती है। यहां बसपा के रामलाल धनिक समेत २६ उम्मीदवार मैदान में हैं। रीति पाठक को अंदरुनी विरोध से भी निपटना है। रीति पाठक ने पिछला चुनाव मोदी लहर में कांग्रेस के इंद्रजीत पटेल को एक लाख से ज्यादा मतों से हराकर जीता था। अब राजनीतिक परिस्थितियां पिछले चुनाव की तरह उनके अनुकूल नहीं हैं। 

मंडला : भाजपा के सबसे बड़े आदिवासी चेहरे फग्गन सिंह का राजनीतिक भविष्य इस बार के चुनाव पर टिका है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां फग्गन की जीत मुश्किल कर दी है। कांग्रेस के युवा उम्मीदवार कमल सिंह मरावी उनको कड़ी चुनौती दे रहे हैं। 

शहडोल : यहां पर दो महिला नेत्रियों में मुकाबला है। भाजपा की हिमाद्री सिंह और कांग्रेस की प्रमिला सिंह दोनों ने अपनी पार्टी बदलकर उम्मीदवारी ली है। स्थानीय संगठन में दोनों के सामने अंतरविरोध का संकट है। इस बार का चुनाव ये संदेश जरुर देगा कि यहां के आदिवासी चेहरों पर मुहर लगाते हैं या उनके लिए चुनाव चिन्ह मायने रखता है।

बालाघाट : यहां पर मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है। भाजपा से बागी बोधसिंह भगत ने भाजपा उम्मीदवार ढालसिंह बिसेन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कांग्रेस के मधु भगत के सामने भी बसपा से चुनाव लड़ रहे कंकर मुंजारे की चुनौती है। जातिय समीकरण भी यहां बहुत मायने रखता है।


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