भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विवि में भर्ती एवं वित्तीय अनियमिताओं को लेकर एफआईआर दर्ज हो चुकी है। अब सांची बौद्ध विश्वविद्यालय और हिंदी विश्वविद्यालय भी सरकार के राडार पर है। पिछले पांच साल में हुई नियुक्तियों एवं अन्य वित्तीय खर्चें की जांच हो सकती है। क्योंकि पत्रकारिता विवि की तरह इन दोनों विवि में भी तत्कालीन सरकार में नेताओं के नाते-रिश्तेदार एवं एक विचारधारा से जुड़े लोगों को बड़ी संख्या में नियुक्ति दी गई है।
प्रदेश में सत्ता बदलते ही विवि में नियुक्तियों के फर्जीवाड़े की शिकायत सरकार तक पहुंची है। इस मामले में सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पत्रकारिता विवि के लिए जांच कमेटी का गठन कर दिया है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है। अब सांची बौद्ध विवि और हिंदी विवि में हुई नियुक्तियों की जांच होना है। संभवत: चुनाव बाद सरकार दोनों विवि के लिए जांच कमेटी का गठन कर सकती है।
शिफ्ट होगा सांची विवि
सितंबर 2013 में अस्तित्व में आए सांची बौद्ध विवि के पास अपना कोई भवन नहीं है। पूर्व मंत्री एवं भाजपा नेता गौरीशंकर शेजवार के सांची स्थित फार्म हाउस पर बनी बिल्डिंग में विवि संचालित हो रहा है। जिसका हर महीने 10 लाख रुपए किराया चुकाना होता है। जल्द ही राज्य सरकार विवि को राजधानी स्थिति किसी विवि के कैंपस में शिफ्ट कर सकती है।