MP: नए सत्र से पहले शिवराज सरकार का छात्राओं को तोहफा, ऐसे मिलेगा लाभ

Pooja Khodani
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शिवराज सरकार

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की शिवराज सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत जनजाति कार्य विभाग (Tribal Affairs Department) द्वारा  पिछड़ी जनजाति की छात्राओं (Student) को शिक्षण के लिये विशिष्ट आवासीय विद्यालय (Typical residential school) उपलब्ध करवाए जा रहे है। इसके तहत अब भोपाल में  भी बैगा, भारिया और सहरिया के लिये संयुक्त सांस्कृतिक केन्द्र की स्थापना की जाएगी।खास बात ये है कि विभाग द्वारा इसके लिए  करीब 18 करोड़ 50 लाख रुपये खर्च किये जा रहे हैं।

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दरअसल, विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय के संस्कृति संवर्धन एवं संरक्षण के लिये श्योपुर, डिण्डोरी एवं छिन्दवाड़ा जिले में 17 करोड़ 70 लाख रुपये की लागत से सांस्कृतिक केन्द्र-सह-आजीविका संवर्धन केन्द्रों की स्थापना की जा रही है। इन केन्द्रों में सांस्कृतिक कार्यक्रम के अलावा युवाओं को आजीविका के लिये प्रशिक्षण दिये जाने की व्यवस्था भी रहेगी। भोपाल(Bhopal) में बैगा, भारिया और सहरिया जनजाति की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किये जाने के मकसद से संयुक्त सांस्कृतिक केन्द्र स्थापित किया जा रहा है।

वर्तमान में मध्यप्रदेश के पिछड़ी जनजाति बहुल क्षेत्रों में रहने वाली बैगा, भारिया और सहरिया समुदाय की करीब 7 हजार कन्याओं की उत्कृष्ट शिक्षण व्यवस्था के लिये 16 कन्या शिक्षा परिसर संचालित किये जा रहे हैं। यह कन्या शिक्षा (Education) परिसर बालाघाट, मण्डला, डिण्डोरी, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर और शिवपुरी जिले में संचालित किये जा रहे हैं।प्रदेश में जनजाति कार्य विभाग द्वारा संयुक्त सांस्कृतिक केन्द्र की स्थापना पर करीब 18 करोड़ 50 लाख रुपये खर्च किये जा रहे हैं।

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विशेष पिछड़ी जनजाति बहुल क्षेत्रों में बैगा, भारिया और सहरिया युवाओं के कम्प्यूटर कौशल का प्रशिक्षण देने के लिये छिन्दवाड़ा, शहडोल, मण्डला, शिवपुरी एवं डिण्डोरी जिले में कम्प्यूटर (Computer) कौशल केन्द्र स्थापित किये जा रहे हैं। यह केन्द्र करीब 30 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किये जा रहे हैं। प्रत्येक केन्द्र में प्रतिवर्ष 100 युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिये जाने की व्यवस्था रहेगी।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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