Bhopal-Strike of Electricity Workers Postponed : मध्यप्रदेश में बिजली कर्मियों की हड़ताल शनिवार को स्थगित हो गई। करीबन 8 सूत्रीय मांगों को लेकर बिजली कर्मचारी और अधिकारी पिछले कई दिनों से आन्दोलनरत थे और शुक्रवार से उन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा करते हुए काम बंद कर दिया था। हालांकि हड़ताल के करीबन 24 घंटे बाद बिजली कर्मचारी-अधिकारी संगठनों की पावर मैनेजमेंट कंपनी के एमडी से बातचीत के बाद हड़ताल को स्थगित करने का फैसला लिया गया। दरअसल इस वार्ता में सहमति बनी कि हड़ताली कर्मियों पर हुई कार्यवाही निरस्त होगी। इसके बाद पेंशन, O3 स्टार, कंपनी कैडर, संविदा एवं आउटसोर्स के विभिन्न मुद्दों पर सहमति बनी है।
एस्मा लगाए जाने के बावजूद हड़ताल थी जारी
बिजली कर्मियों की हड़ताल की घोषणा के बाद ही सरकार ने इन पर एस्मा लगा दिया था लेकिन उसके बावजूद यह हड़ताल पर चले गए, सरकार के एस्मा यानी एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट (अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून) लगाने के बावजूद मध्यप्रदेश के 70 हजार बिजली कर्मी हड़ताल से पीछे नहीं हटे थे। उन्होंने सरकार को ही दो टूक जवाब देते हुए हड़ताल जारी रखी, हड़ताल के चलते पूरे प्रदेश में कुछ घंटों में ही करीबन 5000 हजार शिकायते पेंडिग हो गई, वही इससे अकेले भोपाल सर्कल में ही 932 शिकायतें पेंडिंग हो गईं थी। राजधानी में आंकड़ा 615 रहा। ज्यादातर शिकायतें फॉल्ट, लाइन सुधार आदि से जुड़ी हैं।
ये हैं मांगें…
ज्वॉइंट वेंचर एवं टीबीसीबी वापस लें।
पेंशन की सुनिश्चित व्यवस्था, कंपनी नियुक्त कर्मियों को पुरानी पेंशन, डीआर और चतुर्थ वेतनमान के आदेश जारी किए जाएं।
सातवें वेतनमान में 3 स्टार मैट्रिक्स विलोपित किया जाए।
संविदा का नियमितिकरण एवं सुधार उपरांत वर्ष 2023 संविदा नीति लागू करें।
आउटसोर्स की वेतनवृद्धि के साथ 20 लाख का दुर्घटना बीमा एवं 3 हजार रुपए जोखिम भत्ता दें।
कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर कर मूल वेतन 25300/- से अधिक किया जाए। वर्ष 2018 के बाद के कनिष्ठ अभियंताओं की वेतन विसंगति दूर की जाए।
उच्च शिक्षा प्राप्त कनिष्ठ अभियंताओं को सहायक अभियंता एवं कर्मचारियों को कनिष्ठ अभियंता की नियुक्ति हेतु नीति बनाई जाए। ट्रांसमिशन में आईटीआई कर्मचारियों को क्लास 4 की जगह क्लास 3 में रखा जाए।
अन्य मांगें जैसे सभी वर्गों की वेतन विसंगतियां, अनुकंपा नियुक्ति में मध्यप्रदेश शासन अनुसार नीतियों में सुधार, कैशलेस मेडिक्लेम पॉलिसी, गृह जिले में स्थानांतरण, संगठनात्मक संरचना का पुनर्निरीक्षण एवं अन्य।