गुरूवार को हुई सुनवाई में सभी पक्षों ने अपनी-अपनी तरफ से दलीलें रखी। बीजेपी की तरफ से मुकुल रोहतगी , कमलनाथ की तरफ से कपिल सिब्बल, 16 बागी विधायकों की तरफ से मनिंदर सिंह और स्पीकर की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी वकील ने दलील रखी । सुनवाई के दौरान एमपी सरकार, सीएम और विधानसभा अध्यक्ष ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब पेश किया।
लंच के बाद क्या क्या हुआ
लंच के बाद फिर सुनवाई शुरु हो गई है।सिंघवी और मनिंदर के बाद कपिल सिब्ल अपना पक्ष रख रहे है।मुख्यमंत्री कमलनाथ के वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें देना शुरु किया। यह एक अलग ही मामला है, इसमें किसी ने राज्यपाल के सामने यह दावा नहीं किया है कि उसके पास बहुमत है और यह पहला ऐसा मामला है जहां राज्यपाल तब बहुमत ओरिक्षण के लिए कह रहे हैं जब सत्र चालू है।भाजपा और बागी विधायक जैसा चाहते हैं वैसा यदि कोर्ट ने किया तो वह कंस्ट्रक्शनल स्ट्रक्चर को ध्वस्त करने वाला होगा ।
सिब्बल ने कहा कि यदि बागी विधायक स्वतंत्र है तो उन्हें विधानसभा में आने और वोटिंग करने में क्या समस्या है ।विपक्षी दल ये कहता है कि सत्तापक्ष के विधायक उसके साथ हैं तो क्या राज्यपाल को ये हक मिल जाता है कि वो कहे कि सरकार के पास बहुमत नहीं ।बीजेपी ने विधायकों की हार्स ट्रेडिंग करने के लिए तीन चार्टर प्लेन का इंतजाम किया था।
जस्टिस चंद्रचूड ने हल्के अंदाज में कहा चार्टर प्लेन कोई नई बात नही है, आजकल तो ये ट्रेंड चल रहा है।क्या आपको नहीं लगता कि फ्लोर पर बहुमत साबित होना चाहिए।इस पर सिब्बल ने कहा कि चार्टर प्लेन दिल्ली एयरपोर्ट से उड़े जो हाई सिक्यूरिटी वाला एरिया है और वो केंद्र सरकार के नियंत्रण में है, और उन्होंने ही उसे उड़ने की अनुमति दी।कोई उन विधायको से नहीं मिल सकता क्या ये स्वतंत्र व्यक्ति की परिभाषा है ।
मुकुल रोहतगी ने सिब्बल की दलीलों के दौरान कहा सुबह से सिब्बल जी दलील दे रहे ङै इस वक्त तीन बज रहे हैं हमें भी मौका दिया जाए। सिब्बल ने रामदास अठावले और केंद्र सरकार के एक केस का हवाला देते हुए कहा कि जब सत्र नहीं चल रहा हो तब राज्यपाल के पास अधिकार होता है, कानून स्पष्ट है कि जब सत्र चल रहा हो राज्यपाल ऐसा नहीं कर सकते।
सिब्बल ने कहा ये किस तरह की राजनीति है कि हम कांग्रेस विधायकों से मिल नहीं सकते , बात नहीं कर सकते।जस्टिस चंद्रचूड ने कहा हम कैसे कह सकते है जो बागी विधायक हैं उनको बाध्य करने के लिए आपसे मुलाकात करने के लिए।आपको बात नहीं करना है लेकिन आपको यह इंश्योर करना होगा कि हम जहां जाना चाहते हैं वहां स्वच्छंदता से जा सकते हैं।
इसके बाद राज्य सरकार की तरफ से विवेक तन्खा ने पक्ष रखना शुरु किया ।तन्खा ने कहा कि राज्यपाल ये विचार कैसे बना सकते हैं कि सरकार के पास बहुमत नहीं है , जबकि विधायकों के इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए हैं, राज्यपाल को राजनैतिक झमेले मे नहीं पड़ना चाहिए।इस पर कोर्ट ने कहा कि तन्खा जी सिंघवी जी और सिब्बल जी ये बता चुके हैं कुछ नया हो तो बताइये।
इसके बाद BJP की और से मुकुल रोहतगी ने अपनी बात रखना शुरु किया । मुकुल ने कहा किइस केस को समझने के लिए बोम्मई वाला मामला सबसे बड़ा उदाहरण है, कर्नाटक में भी विधानसभा चल रही थी ।सच्चाई ये है कि वो भी इस्तीफा देना चाहते हैं,वो फ्लोर पर नहीं आना चाहते हैं।आप दो सप्ताह का वक्त क्यों मांग रहे हैं ।ये क्यों हो रहा है चार्टेड प्लेन के कारण, मिस्टर सिब्बल के पास कोई कारण नहीं है, वे खुद अपने विधायकों को लेकर राजस्थान गए थे।क्या यह कह सकते हैं कि राज्यपाल ने जो एक संभावित निष्कर्ष दिया,वो गलत है ।वो दस दिनों की और मांग कर रहे हैं,वो इस्तीफे को लंबा खींचना चाहते हैं जो कि गलत है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि आपको अभी भी पांच की जरुरत है, अभी आप 107 है, मान लीजिए यदि ये 15 लोगों के इस्तीफे स्वीकार नहीं किए जाएंगे वो डिसक्वालिफाई हो सकते हैं।
लंच के पहले क्या क्या हुआ
सुनवाई शुरु होते ही विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सिर्फ फ्लोर टेस्ट का मंत्र जपा जा रहा है। उन्होंने दलील देते हुए कहा कि फ्लोर टेस्ट को लेकर स्पीकर के पास अधिकार है, इसमें दखल की कोशिश की जा रही है। उन्होंने सदन में विधायकों के अनुपस्थित होने पर भी सवाल उठाए। दलबदल कानून से बचने के लिए इस्तीफे का तरीका अपनाया जा रहा है। नई सरकार बनने पर ये 16 विधायक इसका फायदा उठाएंगे। वकील ने कहा कि विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करने के लिए स्पीकर को 2 हफ्ते का समय दिया जाए।
स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा विधायकों के इस्तीफे को लेकर समय देने की बात पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि विधायकों की खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए फ्लोर टेस्ट को जल्दी कराना जरूरी है। जज ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए सुप्रीम कोर्ट पर्यवेक्षक भी नियुक्त कर सकती है। वकील सिंघवी ने यह भी कहा कि विधायक बंधक है, दिग्विजय सिंह मिलने गए थे, लेकिन नहीं मिल सके।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप यह नहीं कह सकते कि मैं अपना कर्तव्य तय करूंगा और दोष भी लगाऊंगा।हम उनकी स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए परिस्थितियाँ बना सकते हैं कि इस्तीफे वास्तव में स्वैच्छिक है।हम एक पर्यवेक्षक को बेंगलुरु या किसी अन्य स्थान पर नियुक्त कर सकते हैं। वे आपके साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर जुड़ सकते हैं और फिर आप निर्णय ले सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये केवल एक राज्य की समस्या नही है बल्कि ये राष्ट्रीय समस्या है। उधर बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के सुझाव को स्वीकार किया है।
इस दौरान सिंघवी- आप वीडियो कांफ्रेंसिंग की बात करके एक तरह से विधायकों को बंधक बनाए जाने को मान्यता दे रहे हैं। बिना आपके आदेश के मैं दो हफ्ते में इस्तीफे या अयोग्यता पर फैसला लेने को तैयार हूँ। ऐसा किये बिना फ्लोर टेस्ट नहीं होना चाहिएसिंघवी ने कहा कि बिना इस्तीफा पर फैसला लिए बहुमत परीक्षण कराना सही नही। अगर वह बंधक नहीं हैं तो राज्यसभा चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह को अपने वोटर से मिलने क्यों नहीं दिया गया?
जस्टिस गुप्ता- MLA राज्यसभा चुनाव में व्हिप से बंधे होते हैं?सिंघवी- हां। जस्टिस चंद्रचूड़- तब वोटर से मिलने की दलील का क्या मतलब रह गया? सिंघवी ने कहा कि हमें दो हफ़्ते का समय दिया जाए, 16 विधायकों को MP में आने दीजिये। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर दिग्विजय सिंह MLA से मिलना चाहते है तो उसका कोई मतलब नही है।
सिंघवी- दिग्विजय महत्वपूर्ण नहीं है, मैं MLA को बंधक रखने की बात पर जिरह कर रहा हूँ।जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इस्तीफे या अयोग्यता का फ्लोर टेस्ट से क्या संबंध? उसे क्यों रोका जाए। सिंघवी- इसलिए कि इससे तय होगा कि नई सरकार में अपनी पार्टी से विश्वासघात करने वाले MLA को क्या मिल सकेगा। सिंघवी- अगर मैंने इस्तीफा अस्वीकार किया तो विधायक व्हिप से बंध जाएंगे। मनिंदर- व्हिप होगा तब भी हम वोट के लिए नहीं आएंगे। जस्टिस चंद्रचूड़- अगर आपने इस्तीफा नामंज़ूर किया। फिर MLA व्हिप से बंध जाएंगे। अगर उन्होंने पालन नहीं किया तो आप फिर भी उन्हें अयोग्य करार दे सकते हैं। जस्टिस चंद्रचूड़- हम हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा नहीं देना चाहते। इसलिए जल्दी फ्लोर टेस्ट ज़रूरी होता है