भोपाल, हरप्रीत कौर रीन। कोरोना के डर के बीच स्कूली शिक्षा विभाग के आदेशों से फैला भ्रम दूर हो गया है। अब यह साफ हो गया है कि बच्चे स्कूल अपने पालकों की मर्जी से ही जाएंगे। रविवार को कुछ घंटे के लिए एक आदेश ने गलतफहमी का वातावरण बना दिया। स्कूली शिक्षा विभाग के उप सचिव केके द्विवेदी के हस्ताक्षर से जारी इस आदेश में कुल 4 बिंदु थे जिनमें पहले में कक्षा एक से 12वीं तक की कक्षाएं कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए 50% क्षमता के साथ संचालित होने, अन्य दिनों में डिजिटल माध्यम से ऑनलाइन क्लास संचालित करने व अर्धवार्षिक परीक्षा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार संचालित करने की बात कही गई थी। इसके कुछ घंटे पहले मुख्यमंत्री कह चुके थे कि बच्चे अपने अभिभावकों की मर्जी से ही स्कूल जाएंगे और ऑनलाइन क्लासेस भी जारी रहेंगी।
पुराना आदेश
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गलतफहमी इस बात को लेकर हुई कि आखिर स्कूली शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री के आदेश को कैसे दरकिनार कर दिया? एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ ने इस खबर का सूक्ष्मता के साथ जब परीक्षण किया तो 28 नवंबर के आदेश के चौथे बिंदु में मुख्यमंत्री के आदेश का पालन नजर आ गया। इसमें लिखा हुआ था कि “यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा और विभागीय समसंख्यक आदेश दिनांक 22 नवंबर द्वारा जारी शेष निर्देश यथावत लागू रहेंगे” अब 22 नवंबर के आदेश में ही मुख्यमंत्री शिवराज सिह के आदेश का पालन सुनिश्चित करने की बात थी। इस आदेश के बिंदु क्रमांक 2.4 में लिखा था कि “अभिभावकों की सहमति से ही विद्यार्थी विद्यालय छात्रावास में उपस्थित हो सकेंगे।” यानी यह प्रावधान तो पहले से ही था कि अभिभावक यदि स्कूल अपने बच्चे को नहीं भेजना चाहते तो उनकी मर्जी है। यानी ऑल इज वेल और इसलिए अब कोरोना की आशंका से जो माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजना नहीं चाहते वह उन्हें ऑनलाइन भी पढ़ा सकते हैं।