भोपाल। प्रदेश में ऐसी सात लोकसभा सीटें हैं, जहां पर महिला प्रत्याशियों के सामने भाजपा और कांग्रेस के बड़े चेहरे हैं| इन महिला प्रत्याशियों से मुकाबले में दिग्गजों को पसीना छूट रहा है| कुछ की प्रतिष्ठा दांव पर है तो किसी के राजनीतिक भविष्य का सवाल है| प्रदेश में महज एक सीट ऐसी है जहां दो महिलाओं के बीच मुकाबला है| शहडोल में चुनाव भाजपा की हिमाद्री सिंह जीतें या कांग्रेस की प्रमिला सिंह लोकसभा तो एक महिला का जाना तय है| इस लिहाज से ये चुनाव महिलाओं की अहमियत और ताकत को स्थापित करने महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है| उनको टिकट भले ही पुरुषों की अपेक्षा कम मिले हैं, लेकिन वे जहां प्रत्याशी हैं, वे सीटें खास मायने रखती हैं और खास बात यह है कि दोनो ही प्रमुख राजैनतिक दल महिलाओं की भागीदारी को अपनी अपनी पहल बता रहे हैं|
यह हैं वो महिला प्रत्याक्षी जो दिग्गजों को चुनौती देंगी
दिग्विजय को प्रज्ञा की चुनौती
प्रदेश में सबसे बड़ा चुनावी दंगल भोपाल सीट पर देखने को मिल रहा है। राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले और 10 साल तक प्रदेश के मुखिया रहे कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह को भाजपा की साध्वी प्रज्ञा ठाकुर चुनौती दे रही हैं…. प्रज्ञा ने अचानक राजनीतिक मुकाबले में शामिल होकर चुनावी परिदृश्य बदल दिया। दिग्विजय दिन-रात एक कर इस चुनौती से पार पाने की कोशिशों में जुटे हैं।
भाजपा की रीति से अजय का मुकाबला
सीधी लोकसभा सीट इस बार जीत के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष और विंध्य के सबसे बड़े कांग्रेसी चेहरे अजय सिंह से भाजपा प्रत्याशी रीति पाठक मुकाबला कर रही हैं। रीति दूसरी बार लोकसभा जाना चाहती हैं तो अजय सिंह की प्रतिष्ठा और राजनीतिक भविष्य का सवाल है। रीति ने अजय सिंह को कड़ी चुनौती दी है।
खटीक के सामने उम्मीद की किरण
भाजपा के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक का कड़ा मुकाबला इस बार कांग्रेस की किरण अहिरवार से है। किरण कांग्रेस के लिए उम्मीद की किरण बनकर आई हैं। भले ही उनका राजनीतिक अनुभव खटीक के सामने कम हो, लेकिन उनकी सक्रियता ने खटीक की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ये सीट खटीक के लिए पिछली बार की तरह आसान नहीं रह गई है।
रोडमल की राह में मोना की चुनौती
इस बार राजगढ़ पर राज करना भाजपा के रोडमल नागर के लिए मुश्किल होता दिख रहा है। उनसे मुकाबले में कांग्रेस ने मोना सुस्तानी को उतारा है। मोना की उम्मीदवारी से नागर के माथे की सलवटें गहरी हो गई हैं। इस बार का धाकड़ प्रत्याशी कौन है ये कहना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है। मोना राजनीति में नई हैं, लेकिन उनका परिवार का सियासत से पुराना रिश्ता है। ये परिवार दिग्विजय का करीबी भी माना जाता है।
नटराजन करा रहीं सियासी नाच
मंदसौर में अपनों की चुनौती से जूझ रहे भाजपा सांसद सुधीर गुप्ता पर कांग्रेस की मीनाक्षी नटराजन भारी पड़ती दिख रही हैं। पिछले चुनाव में सुधीर गुप्ता ने ही मीनाक्षी नटराजन को हराया था, इस बार मीनाक्षी पिछली हार का बदलना लेना चाहती हैं। सुधीर जनता के सामने मोदी का नाम ले रहे हैं तो मीनाक्षी उनको ‘न्याय दिलाने का वादा कर रही हैं।
संगठन के सामने सियासत की रानी
खजुराहो में सीधा मुकाबला संगठन और सियासत का है। संघ, छात्र संगठन से लेकर भाजपा के संगठन में आए वीडी शर्मा पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। वे पहले ही मुकाबले में राजपरिवार की कविता सिंह की रियासत की सियासत में उलझ गए हैं। वीडी का विरोध उनके अपने भी कर रहे हैं। ऐसे में कविता अपने विधायक पति विक्रम सिंह नातीराजा के साथ धुआंधार प्रचार कर वीडी की मुश्किलें बढ़ा रही हैं। वीडी के लिए नया क्षेत्र है, जबकि कविता सिंह यहीं की निवासी हैं।
देवाशीष के सामने संध्या राय
भिंड सीट पर भी दिलचस्प मुकाबला है। कांग्रेस के देवाशीष जरारिया और भाजपा की संध्या राय दोनों पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। देवाशीष अनुसूचित जाति के युवा नेता माने जाते हैं। उन्होंने हाल ही में अपनी शैली से राजनीति में नाम कमाया है। उनकी राह को संध्या ने मुश्किल किया हुआ है। कांग्रेस देवाशीष के सहारे सीट छीनना चाहती है तो भाजपा संध्या के जरिए सीट बचाना चाहती है।
2014 के लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में 37 महिलाएं चुनाव मैदान में थीं। जिसमें से केवल पांच महिलाओं को जीत मिली थी और वो संसद पहुंचीं थी। इंदौर से सुमित्रा महाजन, धार से सावित्री ठाकुर, बैतूल से ज्योति धुर्वे, विदिशा संसदीय सीट से सुष्मा स्वराज और सीधी से रीति पाठक जीत पाईं थी।