भोपाल। आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस जमकर तैयारियों में जुट गए है। वहीं, कुछ सीटें ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस को लंबे समय से जीत नहीं मिली। इनमें बैतूल सीट भी शामिल है। इस सीट पर बीते दो दशक से कांग्रेस को जीत नहीं मिली है। यह सीट बीजेपी का दुर्ग मानी जाती है जिसे भेदने में कांग्रेस के कद्दावर नेता भी असफल हुए हैं। इस सीट पर पिछले 8 चुनावों से सिर्फ और सिर्फ बीजेपी का ही कब्जा रहा है। बीजेपी के दिग्गज नेता विजय कुमार खंडेलवाल यहां से 4 बार जीतकर संसद पहुंच चुके हैं। उनके निधन के बाद उनके बेटे हेमंत खंडेलवाल ने यहां पर जीत दर्ज की। यह सीट 2009 में परिसीमन के बाद अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित हो गई। पिछले दो चुनावों से बीजेपी की ज्योति धुर्वे ही यहां से जीत आ रही हैं।
दरअसल, बैतूल में पहला लोकसभा चुनाव 1951 में हुआ था। इस चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी। उसके बाद कांग्रेस को दो बार 1967 और 71 के चुनाव में भी जीत मिली। लेकिन फिर 77 में हुए चुनाव के बाद सियासी समीकरण बदले और भारतीय लोकदल ने पहली बार यहां पर जीत हासिल की। हालांकि 1980 में कांग्रेस ने यहां पर वापसी की और गुफरान आजम यहां के सांसद बने. इसके अगले चुनाव 1984 में भी कांग्रेस को जीत मिली। बीजेपी ने पहली बार यहां पर जीत 1989 में हासिल की. आरिफ बेग ने कांग्रेस के असलम शेरखान को हराकर यहां पर बीजेपी को पहली जीत दिलाई।
इसके अगले चुनाव 1991 में असलम शेरखान ने 1989 की हार का बदला लिया। उन्होंने इस चुनाव में आरिफ बेग को मात दे दी। 1996 में बीजेपी ने यहां पर फिर वापसी की और विजय कुमार खंडेलवाल यहां के सांसद बने। 1996 में यहां पर वापसी करने के बाद से ही यह सीट बीजेपी के पास है। विजय कुमार खंडेलवाल ने 1996, 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में जीत दर्ज की।
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ज्योति धुर्वे ने कांग्रेस के अजय शाह को मात दी थी. ज्योति धुर्वे को 643651(61.43 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं अजय शाह को 315037( 30.07 फीसदी) वोट मिले थे. दोनों के बीच हार जीत का अंतर 328614 वोटों का था.इस चुनाव में आम आदमी पार्टी 1.97 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थी
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
52 साल की ज्योति धुर्वे दूसरी बार इस सीट से जीतकर संसद पहुंची हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जन्मी ज्योति धुर्वे ने एमए की पढ़ाई की है। संसद में उनके प्रदर्शन की बात करें तो वो 16वीं लोकसभा में उनकी उपस्थिति 84 फीसदी रही. उन्होंने 64 बहस में हिस्सा लिया। ज्योति धुर्वे ने 229 सवाल भी किए।
ज्योति धुर्वे को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 17.50 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे. जो कि ब्याज की रकम मिलाकर 20.64 करोड़ हो गई थी. इसमें से उन्होंने 15.96 यानी मूल आवंटित फंड का 89.47 फीसदी खर्च किया. उनका करीब 4.68 करोड़ रुपये का फंड बिना खर्च किए रह गया।
गौरतलब है कि ज्योति धुर्वे का जाति प्रमाण पत्र निरस्त होने के बाद उनकी लोकसभा सदस्यता खतरे में आ गई है। वहीं भाजपा ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। कांग्रेस का कहना है कि सब कुछ साफ होने के बाद भी शिवराज सरकार ने इस फैसले को रोका रहा। भाजपा ने 10 साल तक अनुसूचित जनजाति की सीट पर अयोग्य व्यक्ति को चुनाव में खड़ा कर आदिवासी वर्ग के हितों पर कुठाराघात किया है