विधानसभा चुनाव 2020 : सियासी हलचल के बीच दिग्विजय सिंह ने किसे दिया ऑफर

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश उपचुनाव (MP By-election) के साथ बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) के नतीजे भी आ गए हैं। NDA ने 125 सीटों पर जीत हासिल की है और फिर से सरकार बनाने जा रही है, हालांकि इस चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है ऐसे में सवाल है कि क्या नीतीश कुमार दोबारा मुख्यमंत्री बनेंगे या फिर इस बार BJP का मुख्यमंत्री होगा। इस सियासी हलचल के बीच कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने ट्वीट राजनीति में खलबली मचा दी है।

दरअसल, दिग्विजय सिंह ने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को कांग्रेस (Congress) में आने का ऑफर दिया है। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट (Tweet) कर नीतीश कुमार से कहा है कि वे संघ (भाजपा) का साथ छोड़कर कांग्रेस के साथ आ जाएं। दिग्विजय ने ट्वीट कर लिखा है कि नितीश जी, बिहार आपके लिए छोटा हो गया है, आप भारत की राजनीति (Indian Politics) में आ जाएँ। सभी समाजवादी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा में विश्वास रखने वाले लोगों को एकमत करने में मदद करते हुए संघ की अंग्रेजों के द्वारा पनपाई “फूट डालो और राज करो” की नीति ना पनपने दें। विचार ज़रूर करें।यही महात्मा गॉंधी (Mahatma Gandhi) जी व जयप्रकाश नारायण (Jai Prakash Narayan) जी के प्रति सही श्रद्धांजलि होगी। आप उन्हीं की विरासत से निकले राजनेता हैं वहीं आ जाइए। आपको याद दिलाना चाहूँगा जनता पार्टी संघ की Dual Membership के आधार पर ही टूटी थी। भाजपा/संघ को छोड़िए। देश को बर्बादी से बचाइए।

दिग्विजय ने आगे लिखा है कि भाजपा/संघ अमरबेल के समान हैं, जिस पेड़ पर लिपट जाती है वह पेड़ सूख जाता है और वह पनप जाती है। नितीश जी, लालू जी (Lalu Prasad Yadav) ने आपके साथ संघर्ष किया है आंदोलनों मे जेल गए है भाजपा/संघ की विचारधारा को छोड़ कर तेजस्वी (Tejashwi Yadav) को आशीर्वाद दे दीजिए। इस “अमरबेल” रूपी भाजपा/संघ को बिहार में मत पनपाओ।आज देश में एक मात्र नेता राहुल गॉंधी (Rahul Gandhi) हैं जो विचारधारा की लड़ाई लड़ रहे हैं। NDA के सहयोगी दलों को समझना चाहिए राजनीति विचारधारा की होती है। जो भी व्यक्ति अपनी महत्वाकांक्षा के कारण विचारधारा को छोड़कर अपने स्वार्थ के लिए समझौता करता है वह अधिक समय तक राजनीति में ज़िंदा नहीं रहता।

आगे दिग्विजय ने लिखा है किमुझे इस बात का दुख है भारत की आज़ादी के बाद के राजनैतिक इतिहास में राजनेताओं की अपनी महत्वकांक्षाओं के कारण विचारधारा गौण हो जाती रही है। कॉंग्रेस ही एक मात्र दल है जिसने संघ की विचारधारा के साथ ना कभी समझौता किया और ना ही जनसंघ/भाजपा के साथ मिल कर कभी सरकार बनाई।भाजपा ने अपनी कूटनीति से नितीश का क़द छोटा कर दिया व रामविलास पासवान जी की विरासत को समाप्त कर दिया। सन ६७ से ले कर आज तक जनसंध/भाजपा ने हर गठबंधन सरकारों में अपना क़द बढ़ाया है और सभी समाजवादी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वाले राजनैतिक संघटनों को कमजोर किया है।

दिग्विजय सिंह ने आखिर ट्वीट में खुद को संघ विरोधी बताते हुए लिखा है कि मैं संघ की विचारधारा का घोर विरोधी हूँ क्योंकि वह भारत की सनातनी परंपराओं व सनातन धर्म की मूल भावना के विपरीत है।यह देश सबका है।लेकिन फिर भी मैं उनकी इस बात की प्रशंसा भी करता हूँ कि वे अपने लक्ष्य और अपनी विचारधारा के साथ समझौता नहीं करते। केवल समाज को बॉंट कर राजनीति करते हैं।बिहार चुनावों में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन को मिली सफलता के लिए में बधाई देता हूँ। एक बार फिर औवेसी जी की MIM ने चुनाव लड़ कर भाजपा को अंदरूनी तौर पर मदद कर दी। देखना है वे बिहार में भाजपा व जद यू की सरकार बनाने में NDA का सहयोग करेंगे या महागठबंधन का।

वैसे यह उम्मीद कम ही है कि नीतिश कांग्रेस का साथ देंगे, जेडीयू नेता जीत का सारा श्रेय नीतीश को दे रहे है,चुंकी राजनीति में कुछ भी स्थिर नही, कब क्या हो जाए कहां नही जा सकता। ऐसे में यदि नीतीश कुमार कांग्रेस का ऑफिर मान लेते हैं तो बिहार JDU, RJD और कांग्रेस की महागठबंधन वाली सरकार बन सकती है। सुत्रों की माने तो यह ऑफर इसलिए भी दिया गया है क्योंकि इस चुनाव में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है और राज्य में बीजेपी का ही मुख्यमंत्री बनाने की मांग उठ रही है, ऐसे में यह दांव कितना कामयाब होगा यह देखने वाली बात होगी।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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