भोपाल। मध्य प्रदेश में पहले चरण की वोटिंग का समय नजदीक आ रहा है। चुनावी रण में सर्गमियां भी बढ़ती जा रही है। पहले चरण में प्रदेश की छिंदवाड़ा, मंडला, बालाघाट, सीधी और शहडोल लोकसभा सीट पर वोटिंग होना है। दोनों ही दलों के प्रमुख चुनाव प्रचार थमने से पहले जनसभाएं करेंगे। कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और पीएम मोदी इन सीटों पर रैली करेंगे। इन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस में मुख्य मुकाबला है।
कांग्रेस छह सीटों में से दो पर आगे
पहले चरण में छह सीटों पर मतदान होना है। इनमें से दो सीटों पर कांग्रेस बीजेपी के मुकाबले मजबूत दिखाई दे रही है। जबकि चार सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवारों कांग्रेस को टक्कर दे रहे हैं। छिंदवाड़ा से इस बार मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ मैदान में हैं। बीजेपी ने उनके खिलाफ नथ्थन शाह को उतारा है। नकुल यहां मजबूत स्थिति में हैं। उन्हें ये सीट पिता की विरासत के तौर पर मिली है। यहां से उनकी पिता कमलनाथ लगातार नौ बार से सांसद रहे हैं। मोदी लहर में भी इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा था। वह पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन उनकी लोकप्रियता देख कर विरोध दल भी हैरान है। वहीं, सीधी में बीजेपी उम्मीदवार रीती पाठक के खिलाफ कांग्रेस ने पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को उतारा है। स्थानीय लोगों में रीती पाठक को लेकर काफी गुस्सा और नाराजगी है। इसका फायदा अजय सिंह को चुनाव में मिल सकता है। बीजेपी नेताओं में पाठक के खिलाफ नाराजगी है। इसलिए सिंह यहां से मजबूत प्रत्याशी को तौर पर उभरे हैं। उन्हें कोल, पटेल, ब्रहमण और ठाकुर समाज का समर्थन मिल रहा है।
जबलपुर में राकेश का पलड़ा भारी
जबलपुर से इस बार बीजेपी ने फिर से प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह पर भरोसा जताया है। वहीं कांग्रेस ने राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा को उनके खिलाफ मैदान में उतारा है। सिंह इस सीट से लगातार तीन बार से सांसद चुने जा रहे हैं। यह सीट संघ का गढ़ भी कही जाती है। लेकिन स्थानीय लोगों में सिंह को लेकर इस बार नाराजगी भी है। वहीं, तन्खा को जिताने के लिए दो कैबिनेट मंत्रियों की साख भी दांव पर लगी है। मंत्री तरूण भनोट और लाखन घंघोरिया इस लोकसभा का पूरा प्रबंधन देख रहे हैं। लेकिन सिंह यहां से जनसभाओं में मिल रहे समर्थन को देखते हुए तन्खा से आगे बने हुए हैं। तन्खा को इस लोकसभा से बड़े घरानों से समर्थन मिल रहे है लेकिन जमीन पर उनको लेकर कोई खास प्रभाव देखने को नहीं मिल रहे है।
शहडोल और बाल��घाट में भी कड़ी टक्कर
शहडोल सीट से इस बार कांग्रेस से बीजेपी में आईं हिमाद्री सिंह को उम्मीदवार बनाया है उनके खिलाफ कांग्रेस ने प्रमिला सिंह को उतारा है। हिमाद्री इस सीट पर बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ रहे ही हैं। इससे पहले वह उप चुनाव में बीजेपी के ज्ञान सिंह से कम अंतर से हारी थीं। उनके पिता दलबीर सिंह और मां नंदनी सिंह यहां से सांसद रही हैं। इस सीट पर बीजेपी मजबूत है। कांग्रेस उम्मीदवार प्रमिला अभी तक पूरे क्षेत्र में सक्रिय नहीं हो पाई हैं। चुनाव प्रचार में वह पिछड़ गईं हैं। वहीं, बालाघाट में कांग्रेस ने मधु भगत को बीजेपी के ढाल सिंह बिसेन के खिलाफ उतारा है। यहां कांग्रेस को काफी बढ़त मिल रही है। बीजेपी के वर्तमान सांसद बोध सिहं भगत निर्दलीय खड़े हुए हैं। इस सीट पर चार उम्मीदवार हैं जो पवार समाज से आते हैं। पवार समज यहां बीजेपी उम्मीदवार को जिताता आया है। लेकिन इस बार वोट का ध्रुविकरण होता दिख रहा है। बिसेन को उनकी पार्टी के नेताओं से ही चुनौती मिल रही है। वहीं, इस सीट पर सपा का होल्ड भी अच्छा माना जाता है। सपा ने यहां से कांकर मुंजरे को प्रत्याशी बनाया है। वह बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं। इस सीट पर मुकाबला चतुष्कोणीय और कठिन बताया गया है।
कुलस्ते की राह भी कठिन
मंडला से कांग्रेस प्रत्याशी कमल मरावी को उनके प्रतिद्वंद्वी और भाजपा प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते की तुलना में लो प्रोफाइल बताया जाता है। विधानसभा चुनावों के दौरान भी बीजेपी इस सीट से पीछे रही थी। कुलस्ते के खिलाफ नाराजगी के बावजूद, कुलस्ते और मरावी के बीच मुकाबला कठिन है। कुलस्ते को स्थानीय स्तर पर नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है