ब्लैक फंगस के मरीजों का बढ़ रहा आंकड़ा, रिकवरी भी हो रही तेजी से

Atul Saxena
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जबलपुर, संदीप कुमार। कोरोना की दूसरी लहर के बीच एक नई बीमारी ब्लैक फंगस (Black Fungus) देश में तेजी से बढ़ रही है, मध्यप्रदेश के सिर्फ जबलपुर मेडिकल कॉलेज (jabalpur Medical College) में ही ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों का आंकड़ा 200 के पार पहुँच गया है वहीं शहर के निजी अस्पतालों में भी 80 से अधिक मरीज वर्तमान में इलाजरत हैं।  इस बीच अच्छी बात ये भी है कि जिन 39 मरीजों की सर्जरी हुई है वो लोग तेजी से रिकवर कर रहे हैं।

ब्लैक फंगस (Black Fungus) के बढ़ते मरीज नेताजी सुभाष चंद्र बोस जबलपुर मेडिकल कॉलेज में बने ब्लैक फंगस (Black Fungus) वार्ड में भर्ती है जहाँ सभी पोस्ट कोविड और ब्लैक फंगस के मरीज हैं।  राहत की बात ये है कि अधिकतर मरीज शुरूआती चरण में इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज आ गए थे जिस कारण वे रिकवर भी तेजी से कर रहे हैं, कुछ ही मरीज ऐसे है जिनका फंगस दिमाग तक फैल चुका था।

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गढ़ा जबलपुर निवासी आनंद श्रीवास्तव भी इसी वार्ड में भर्ती हैं, उनकी पत्नी ने बताया कि 4 अप्रैल से उनके पति को बुखार आ रहा था, 8 तारीख को टायफाइड की जांच कराई फिर कोविड की, 17 दिन तक मेडिकल के कोविड वार्ड आईसीयू में भर्ती रहे, 25 को डिस्चार्ज करा ले गए, इसके बाद सिर में तेज दर्द होने लगा, न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाया उसके बाद मेडिकल कॉलेज लेकर आए जहाँ फंगल इंफेक्शन बताया गया, 17 मई को ऑपरेशन हुआ जिसके बाद अब बहुत आराम है।  इसी तरह कई और मरीज हैं जो कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस को भी हराकर स्वस्थ हो रहे हैं

 अभी तक एक भी मरीज की आंख नहीं निकाली  

जबलपुर मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग में पदस्थ डॉक्टर के मुताबिक आंख, जबड़ा व तालू से जुड़े ब्लैक फंगस के मरीज अधिक संख्या में आ रहे हैं, फंगस के कारण मेडिकल में अब तक एक भी मरीज की आंख नहीं निकाली गई, नेजल एंडोस्कोपी के माध्यम से आंख के पिछले हिस्से में भरी मवाद को बाहर निकालकर आंखों की रोशनी बचाई गई है,डॉक्टर ने बताया कि कोविड इलाज के दौरान व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।  फंगस की गिरफ्त में आए अभी तक सारे मरीज शुगर पीड़ित ही मिले हैं। इसमें से कुछ काे पहले से शुगर था और कुछ को कोविड के बाद हुआ, अधिकतर मरीज को स्टेरॉयड इंजेक्शन भी दिए गए हैं।

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एंडोस्कोपी, एमआरआई, सीटी स्कैन के बाद ऑपरेशन का फैसला 

डॉक्टरों के मुताबिक मरीजों की माइक्रोबॉयोलॉजी में जांच कराते हैं इसके बाद एंडोस्कोपी, एमआरआई व सीटी स्कैन की जांच कराने के बाद निर्णय लेते हैं कि ऑपरेशन करना है या दवा से ठीक हो जाएगा यह देखा जाता है,अस्पतालों में म्यूकर माइकोसिस के मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही लायपोसोमल एम्फोसिटीरिन-बी के लिए लोग परेशान हो रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में इसकी दवा प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई है। दरअसल एम्फोसिटीरिन-बी बेहद कम बिकने वाली दवा होने के कारण इसे दवा कारोबारी नहीं रखते थे, निर्माता भी सीमित मात्रा में ही बना रहे थे।

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मरीज के वजन के मुताबिक दी जाती है इंजेक्शन की डोज 

फंगल इंफेक्शन में मरीज को उसकी शरीर की क्षमता के अनुसार 50 एमएल से 100 एमएल के बीच में इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं। इंजेक्शन के बाद सर्जरी और फिर कुछ खाने वाली दवा की जरुरत होती है। इंजेक्शन पहले और सर्जरी के बाद लगते है, इंजेक्शन के अलावा अभी कोई इस बीमारी का विकल्प नहीं है,एम्फोसिटीरिन-बी के विकल्प के रुप में उपलब्ध इंजेक्शन से किडनी फेल होने का खतरा है। इस कारण इसे नहीं लगाया जा रहा है।

ये हैं ब्लैक फंगस के लक्षण

– आंख-नाक के आसपास दर्द व लालपन।
-चेहरे के एक तरफ दर्द या सूजन।
– नाक, मुंह व आंख से काले रंग का पानी आना।
– नाक के ऊपर काली पपड़ी जमना।
– तालू में पपड़ी जमना, खून की उल्टियां।
– आंखों में सूजन, दर्द या लाल होना।
– नाक के आसपास गालों की हड्डियों में दर्द।
– नाक बंद होना, सांस लेने में दिक्कत।
– दांत काले होना, दांत व जबड़े कमजोर होना

फंगस से बचने ये रखे सावधानी

– धूल और प्रदूषण वाली जगह में जानें से बचें।
– हाथ अच्छे से धोकर ही कुछ खाएं।
– कोरोना से ठीक होने के बाद भी बाहर निकलने पर मास्क लगाएं।
– नाक साफ करते रहें।
– गुनगुने पानी को नाक से खींचे
– कोरोना मरीज स्वस्थ्य होने भी घर पर 4-6 सप्ताह तक नमक-पानी के गरारे करें।
– शुगर लेवल 150-200 के बीच रहे।
– डायबिटीज वाले नियमित शुगर लेवल की जांच कराएं।
– सांस, गुर्दा, कैंसर, अंग प्रत्यारोपण संबंधी उपचार लेने वाले सतर्क रहें।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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