Khooni Bhandara: मध्य प्रदेश में है रहस्यमय खूनी भंडारा, 5 सदी पुराना है इतिहास

Diksha Bhanupriy
Published on -
Khooni Bhandara

Khooni Bhandara In Burhanpur: भारत में घूमने फिरने के लिए एक से बढ़कर एक जगह मौजूद है। जहां पर्यटकों का आना-जाना अक्सर लगा रहता है। बात चाहे यहां के किसी भी राज्य की कर ली जाए। सभी अपनी अपनी खूबियों की वजह से पहचाने जाते हैं। राजस्थान जहां अपने रेगिस्तान और पहनावे के लिए पहचाना जाता है। तो गुजरात के मीठी बोली और खाना हर किसी को दीवाना बना देता है। ठीक उसी तरह मध्यप्रदेश अपने ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के लिए दुनिया भर में अलग ही पहचान रखता है।

धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के साथ मध्यप्रदेश में कुछ हैरान कर देने वाली चीजें भी मौजूद है। इन चीजों से जुड़ी खासियत और रहस्य हमेशा से ही स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच चर्चा का विषय रहे हैं। आज हम आपको मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर की एक ऐसी ही जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में पहले सुनकर तो आपको हैरानी होगी। लेकिन जब आप इसके बारे में जानेंगे, तो इस बात पर विश्वास कर लेंगे कि आज से सालों पहले भी बिना किसी आधुनिक मशीन के लोग बड़ी से बड़ी संरचनाओं को आकार दे दिया करते थे।

मध्य प्रदेश का खूनी भंडारा

जाहिर सी बात है खूनी भंडारा सुनकर हर कोई पहली बार में डर जाएगा और सोचने लगेगा कि आखिरकार यह कौन सी जगह है, जिसका नाम ही इतना डरावना है। कुछ लोगों को तो यहां हॉरर फिल्मों की याद भी आ जाएगी, लेकिन डरने की कोई बात नहीं है। यह खूनी भंडारा लोगों की जिंदगी नहीं छीनता बल्कि उन्हें जिंदगी देता है। जी हां, बुरहानपुर में मौजूद यह खूनी भंडारा पुराने समय में बनाई गई अद्भुत और बेमिसाल इंजीनियरिंग का एक ऐसा नमूना है। जो भूमिगत जल सुरंगों के जरिए पूरे शहर को पानी पहुंचाता है।

Khooni Bhandara

सदियों पुराना है इतिहास

इस जल प्रणाली के भीतर आड़ी तिरछी जल सुरंग इतनी लंबी है कि आप घोड़े पर बैठकर इनके भीतर से मीलों तक जा सकते हैं। इन जल सुरंगों का इतिहास 5 सदी पुराना है और 1600 ईस्वी के प्रारंभिक दौर में मुगल बादशाह अकबर ने असीरगढ़ जो अब बुरहानपुर है, पर विजय हासिल की थी और इसकी सत्ता बेटे के हाथ सौंप दी थी। यहां पर अब्दुल रहीम खानखाना को सूबेदार बनाया गया था।

Khooni Bhandara

जानकारी के मुताबिक एक समय ऐसा आया जब बुरहानपुर पानी के संकट से जूझ रहा था। पास से ताप्ती नदी बहती जरूर थी, लेकिन रियासतदारों को यह चिंता थी कि अगर नदी के पानी में जहर मिला दिया गया तो फिर क्या होगा। इसके बाद रहीम पानी के प्रबंधन की खोज में जुटे और सतपुड़ा पर्वत श्रंखला की तराई में खुदाई के बाद मीठा और खनिज तत्वों से भरपूर जल धाराओं तक पहुंचे। इसके बाद उन्होंने एक अद्भुत जल संचार प्रणाली तैयार करवाई जो बीती 5 सदियों से बुरहानपुर की प्यास बुझा रही है। दुनिया भर में जहां मानव बिरादरी जल की चिंता में डूबी रहती है। वहां इस खूनी भंडारे का जिक्र जरूर होता है।

ऐसी है जल सुरंग

बुरहानपुर में तैयार की गई यह भूमिगत नहरें और जल सुरंग जमीन के अंदरूनी हिस्से को काटते हुए पत्थरों को तराश कर तैयार की गई है। यह मुगल शासन काल में निर्मित की गई सबसे बेहतरीन धरोहर में से एक है। इन्हें खास अंदाज में तैयार किया गया है और इनकी ऊंचाई कितनी है कि घोड़े पर सवार व्यक्ति भी आसानी से यहां से गुजर सकता है। सुरंगों के रास्ते में आज भी अनेक कुंडियां हैं जहां से रस्सी के सहारे आज भी पानी लिया जाता है। इन कुंडियों में 10 मीटर नीचे पानी होता है और इनके बीच की दूरी 20 से 30 मीटर की है।

Khooni Bhandara

नायब निशानी है जल संरचना

इन जल सुरंगों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें बिना किसी मदद से पूरे शहर में पानी पहुंच जाया करता था। ना किसी मोटर या इंजन और ना ही बिजली की आवश्यकता पड़ती थी। इन्हें बनाने वाले वह लोग थे जिनका इंजीनियरिंग के E से भी कोई वास्ता नहीं था। फिर भी इन चतुर कारीगरों ने पहले पत्थरों से सुरंगों का निर्माण किया। इसके बाद उसमें जल प्रवाहित किया गया। आज भी इन सुरंगों में बीते समय की तकनीकी कुशलता और अद्भुत कारीगरी दिखाई पड़ती है।

Khooni Bhandara

ऐसे पड़ा नाम

इतिहासकारों की मानें तो इस अद्भुत जल संरचना का नाम खूनी भंडारा इसलिए पड़ा क्योंकि ये बुरहानपुर शहर के लिए ठीक उसी तरह काम करता है जैसे किसी व्यक्ति के शरीर में खून की भूमिका होती है और उसके बिना शरीर कोई काम का नहीं। खूनी भंडारे में 103 कुंडियां हैं। इसके अलावा यहां पर मूल भंडारा, चिंताहरण भंडारा और सूखा भंडारा भी है, जो सुरंगों के माध्यम से इसी से जुड़े हुए हैं। यह सब जमीन से 80 फीट नीचे हैं जहां हौज में पानी आने के अलावा दीवारों से भी पानी रिसकर आता है।

 

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Anirudh Dubey (@anirudh3564)

अंडरग्राउंड ताजमहल

इस भूमिगत खूनी भंडारे की दीवारें देखने पर संगमरमर की तरह नजर आती है, जिसका कारण इस पर जमीन कैल्शियम की परत है। यही वजह है कि यह जल भंडार भूमिगत ताजमहल के नाम से पहचाना जाता है। बदलते समय के साथ अब यह जल भंडार और इसकी सुरंगे जर्जर हो रही है। लगातार इन्हें संरक्षित करने की मांग की जा रही है, ताकि ऐतिहासिक विरासत अपने मूल रूप में बनी रहे। जमीन के ऊपर बने हुए काले ताजमहल पर तो सभी का ध्यान है लेकिन बुरहानपुर की भूमिगत ख्याति संरक्षण के इंतजार में है।

Khooni Bhandara


About Author
Diksha Bhanupriy

Diksha Bhanupriy

"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

Other Latest News