कमलनाथ के तीन तत्कालीन मंत्री आरोपो के घेरे में, CBDT करेगी जांच

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Former CM Kamalnath) पर साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2019) में कालेधन (Black Money) के लेनदेन के मामले में चुनाव आयोग (Election Commission) ने राज्य सरकार को रिपोर्ट दर्ज करने को कहा है, जिसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में हल चल मची हुई है। वहीं आज  मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार (Congress Goverment) के दौरान आयकर विभाग (Income Tax) के पड़े छापों को लेकर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, सीबीडीटी (Central Board of Direct Taxes CBDT) की रिपोर्ट में हुए खुलासे के बाद कमलनाथ सरकार (Kamalnath Government) के तीन तत्कालीन मंत्रियों की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

सीबीडीटी (CBDT) द्वारा जारी रिपोर्ट में कमलनाथ सरकार (Kamalnath Government) के तीन विभागीय मंत्रियों की भूमिका की जांच करने की बात कही गई है। इन तीन मंत्रियों में तत्कालीन महिला एवं बाल विकास की मंत्री इमरती देवी (Imarti Devi), परिवहन विभाग मंत्री गोविंद सिंह राजपूत (Govind Singh Rajput) और खनिज विभाग मंत्री प्रदीप जायसवाल (Pradeep Jaiswal) का नाम शामिल है। वहीं अगर देखा जाए तो 2020 के मार्च में ज्योतिरादित्या सिंधिया के साथ उनके खेमे के 22 विधायकों ने कांग्रेस का हाथ छोड़ के बीजेपी का दामन थाम लिया था। जिसमें इमरती देवी और गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस का नाम शामिल है। वही प्रदीप जायसवाल द्वारा भी बीजेपी को समर्थन दिया गया है, जिसके बाद प्रदीप जायसवाल को खनिज विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।