Chhatarpur News: दोषी पाए जाने के बाद भी DPC पर नहीं हुई कार्रवाई, कमिश्नर ने दिए थे आदेश

Kashish Trivedi
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छतरपुर, संजय अवस्थी। सर्व शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक (DPC) के विरुद्ध जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने भ्रष्टाचार, मनमानी और विभागीय गड़बडिय़ां करने की शिकायत कमिश्नर सागर संभाग से की थी। इस पर कमिश्नर ने संयुक्त संचालक शिक्षा सागर संभाग से मामले की जांच कराई। जांच में शिकायत सही पाई गई। जांच में पाया गया कि डीपीसी ने मनमाने ढंग से प्राइवेट स्कूलों की फीस प्रतिपूर्ति लौटाई, सरकारी वाहन का जमकर दुरुपयोग किया।

कर्मचारियों को नोटिस देकर बाद में न तो उनके खिलाफ कार्रवाई की गई और न ही सक्षम अधिकारियों को कार्रवाई के लिए लिखा। इसके साथ ही पेपर प्रिटिंग, किताबों के परिवहन में भी गड़बड़ी की गई। DPC के खिलाफ जांच में ये सभी मामले सिद्ध होने के बाद भी अब तक विभागीय अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की है। जबकि कमिश्नर सागर ने इन मामलों में सख्त कार्रवाई करने के लिए लिखा है।

क्या है मामला

जिला पंचायत उपाध्यक्ष अमित पटैरिया ने DPC आरपी लखेर के खिलाफ करीब चार माह पहले शिकायत की थी। उन्होंने यह शिकायत कलेक्टर के साथ-साथ संभागायुक्त सागर से भी की थी। मामले को संभागायुक्त पंकज शुक्ला ने गंभीरता से लेते हुए संयुक्त संचालक शिक्षा सागर संभाग को जांच करने का आदेश दिया। इस आदेश पर संयुक्त संचालक द्वारा जांच की गई। जांच में DPC आरपी लखेर पर कई वित्तीय गड़बडिय़ां सिद्ध हुई हैं। इस पर 18 फरवरी 21 को संभागायुक्त सागर ने डीपीसी आरपी लखेर के विरुद्ध सख्त कार्रवाई किए जाने को लिखा है। करीब एक माह होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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मनमाने ढंग से लौटाई फीस प्रतिपूर्ति राशि

डीपीसी आरपी लखेर के खिलाफ संयुक्त संचालक शिक्षा द्वारा की गई जांच में पाया गया कि डीपीसी ने अपने पद का दुरुपयोग करने हुए अशासकीय स्कूल संचालकों को फीस प्रतिपूर्ति राशि लौटाए जाने में जमकर मनमानी की है। संभागायुक्त ने आरोप पत्र में लिखा है कि DPC आरपी लखेर ने फीस प्रतिपूर्ति राशि लौटाने में कुछ स्कूल संचालकों को बेहद परेशान करते हुए आवेदन करने के लंबे समय बाद फीस प्रतिपूर्ति राशि लौटाई है।

जबकि कुछ पर बेहद दरियादिली दिखाते हुए तत्काल राशि दे दी है। कमिश्नर मुकेश शुक्ला ने आरोप पत्र में उदाहरण देते हुए लिखा है कि नाथूराम पटैरिया हाई स्कूल के संचालक ने 1 दिसम्बर 18 को आवेदन दिया था और उसे डेढ़ साल बाद 4 अप्रैल 20 को राशि लौटाई गई, जबकि क्रिश्चियन इंग्लिश कॉलेज के संचालक ने 20 अक्टूबर 20 को आवेदन दिया और उसे 23 नवम्बर 20 को ही राशि दे दी गई। इसमें उन्होंने डीपीसी द्वारा बेहद मनमाने ढंग से राशि लौटाने के आरोप लगाए हैं।

जिला पंचायत सीईओ के आदेश विरुद्ध दिया प्रभार

कमिश्रर ने आरोप तय करते हुए लिखा है कि 27 जून 19 को कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास सटई की अधीक्षिका को सस्पेंड किया गया। इस पर सहायक वार्डन को चार्ज देने और वित्तीय अधिकार बीआरसीसी को देने का आदेश जिला पंचायत सीईओ जारी किया, लेकिन डीपीसी ने जिला पंचायत सीईओ का आदेश न मानते हुए सटई के पास के ही एक अन्य हॉस्टल की वार्डन को प्रभार और वित्तीय अधिकार सौंप दिए। कमिश्नर ने डीपीसी आरपी लखेर पर मनमाने ढंग से बीआरसीसी, बीएसी, सीएसी की नियुक्ति करने और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इनके नियुक्ति संबंधी दस्तावेज मांगने पर समय पर न देने का आरोप भी तय किया है।

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5 घंटे 30 मिनट में डीपीसी ने किया 922 किमी का सफर

कमिश्नर सागर ने आरोप तय करते हुए लिखा है कि डीपीसी आरपी लखेर द्वारा फर्जी लॉकबुक दर्ज कराई है। आरपी लखेर वाहन क्रमांक एमपी 16 टी- 2161 अनुबंधित किए हैं। इस वाहन की फर्जी लॉकबुक भरवाकर राशि आहरित की गई। 2 मार्च 20 को सुबह 10.30 बजे डीपीसी आरपी लखेर गौरिहार से भोपाल के लिए रवाना हुए और शाम 4 बजे तक उन्होंने 922 किमी का सफर किया। ऐसे में यह कैसे संभव हो सकता है कि 922 किमी का सफर साढ़े पांच घंटे में कर लिया जाए। डीपीसी आरपी लखेर के भ्रष्टाचार यहीं पर खत्म नहीं होते हैं। विभागीय अधिकारियों को अन्य माध्यमों से स्कूलों में गड़बड़ी, मध्यान्ह भोजन में गड़बड़ी, स्कूल बंद मिलने आदि की शिकायतें मिलीं इस पर डीपीसी ने इन शिकायतों पर नोटिस तो जारी कर दिए लेकिन न तो गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई की और न ही डीईओ सहित सक्षम वरिष्ठ अधिकारियों को इस संबंध में जानकारी दी।

पेपर छपवाने में भी गड़बड़ी :

कमिश्नर पंकज शुक्ला ने आरोप तय करते हुए लिखा है कि जांच में पाया गया कि डीपीसी आरपी लखेर ने पेपर मुद्रण भंडार क्रय नियम 2015 के विपरीत कक्षा 1 से 4, कक्षा 6 और 7 के पेपर छपवाने में जमकर गड़बड़ी की है। इनके द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से रोहित ग्राफिक्स से पेपर मुद्रण का कार्य करवाया गया। पेपर 12 पेज में एक साइट प्रिंट होना था जबकि रोहित ग्राफिक्स ने केवल 6 पेज में दोनों ओर पेपर छाप दिए।

इस गड़बड़ी के बाद भी डीपीसी ने मुद्रक का भुगतान कर दिया। इसी तरह स्कूलों तक किताबों का परिवहन करने के लिए वाहनों के भाड़े बढ़ा दिए। एक सााल पहले जो रेट थे उन्हें बगैर किसाी सूचना या अनुमति के बढ़ाते हुए परिवहन कराया है। डीपीसी ने कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास बमीठा की बाउंड्रीवॉल निर्माण में पंचायत पदाधिकारियों साथ मिलकर गड़बड़ी की है। यहां बाउंड्रीवॉल का निर्माण ग्राम पंचायत से कराया गया जबकि शौचालयों के निर्माण के लिए एसएमसी को निर्माण एजेंसी बनाया गया है। कमिश्नर सागर संभाग पंकज शुक्ला ने डीपीसी आरपी लखेर पर आरोप तय करते हुए मप्र सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम तीन के उपनियम 1,2,3, भंडार क्रय नियमों के अंतर्गत शासकीय सेवक के आचरण के विपरीत होकर कदाचरण की श्रेणी में कार्य करना बताया है। इनके विरुद्ध सिविल सेवा नियम 1966 के तहत दंडनीय कार्रवाई करने को लिखाहै

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