इंदौर में आरटीआई कार्यकर्ता पर कलेक्टर की कार्रवाई पर उठे सवाल, सूचना आयुक्त ने भी किया ट्वीट

Gaurav Sharma
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इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा संजय मिश्रा पर आरटीआई के नाम पर अधिकारी- कर्मचारियों को ब्लैकमेल करने और वसूली करने के आरोप में एफ आई आर दर्ज करने के निर्देश पर बवाल खड़ा हो गया है। कलेक्टर के ट्विटर पर लोग इस कार्रवाई को लेकर जहां सवाल खड़े कर रहे हैं वही राज्य के सूचना आयुक्त ने भी इसे लेकर ट्वीट किया है।

सोमवार को इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह ने टीएल बैठक में आरटीआई एक्टिविज्म के नाम पर अधिकारियों और कर्मचारियों को डरा धमका कर ब्लैक मेलिंग करने और वसूली करने के आरोप में संजय मिश्रा नामक व्यक्ति के खिलाफ एक्सटॉर्शन की एफ आई आर दर्ज कराने के निर्देश अपर कलेक्टर अभय बेडेकर को दिए थे। बताया जा रहा है कि मीटिंग में कई अधिकारी- कर्मचारियों ने शिकायत की थी कि संजय मिश्रा द्वारा सूचनाओं के आधार पर डरा धमका कर वसूली करने का प्रयास किया जा रहा है जिसके बाद कलेक्टर ने यह आदेश दिए। लेकिन कलेक्टर की यह कारवाई सवालों के घेरे में है।

राज्य के सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने ट्वीट कर लिखा है “ब्लैकमेल करना आपराधिक कृत्य। कार वाई होनी चाहिए पर साथ में आरटीआई की जिस जानकारी के लिए ब्लैकमेल किया जा रहा है, उस जानकारी को प्रशासनिक पारदर्शिता के मापदंड के तहत पब्लिक प्लेटफॉर्म पर डाल देना चाहिए क्योंकि सवाल अक्सर यह भी उठते हैं कि ब्लैकमेल किस किस्म के अधिकारी होते हैं।” राहुल सिंह ने यह भी लिखा है कि “इस बात से इंकार नहीं कि कुछ चुनिंदा लोग आरटीआई का दुरुपयोग करते हैं। पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि करोड़ों अरबों रुपए के घोटालों का पर्दाफाश भी इसी आरटीआई से हुआ है। आरटीआई देश का एकमात्र कानून जिसके दम पर अंतिम पंक्ति का व्यक्ति बराबरी में बैठकर प्रथम पंक्ति के साहिब से हक से जानकारी मांगता है।”

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वही कलेक्टर के ट्विटर अकाउंट पर भी इस कार्रवाई को लेकर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि कैसे ब्लैक मेलिंग हो रही थी? तथ्य सहित सवाल पर प्रकाश डालना चाहिए। आरटीआई के दुरुपयोग का मतलब क्या है? इसे भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए और अधिकारी कौन से काम की वजह से ब्लैकमेल हो रहे हैं इसका भी खुलासा होना चाहिए। लोगों ने यह भी लिखा है कि ब्लैकमेल वही होता है जो गलत होता है वरना अधिकारी ब्लैकमेल क्यों होगा? शासन स्तरीय जांच होनी चाहिए तभी सत्यता सामने आएगी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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