Dabra News: सिविल अस्पताल बना घूसखोरी का अड्डा, जन्म प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर हो रही मनमानी वसूली

डबरा बीएमओ आलोक त्यागी से इस संबंध में दूरभाष पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि अस्पताल में जन्म प्रमाण पत्र बिल्कुल नि:शुल्क बनाए जाते हैं।

Shashank Baranwal
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Dabra News: मध्य प्रदेश का डबरा सिविल अस्पताल यूं तो अक्सर अव्यवस्थाओं को लेकर चर्चाओं में बना रहता है, लेकिन हाल ही में अस्पताल में जन्म प्रमाण पत्र बनाने को लेकर आवेदकों से पैसे लेने का मामला सामने आया है। अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारी आवेदकों से मनमानी तरीके से पैसा वसूल रहे हैं।

पैसे वाला ही बनवा सकेगा जन्म प्रमाण पत्र

डबरा सिविल अस्पताल में चल रहे घूसखोरी का यह मामाल बेहद चिंतनीय है। वहीं, अब यह कहना गलत नहीं होगा कि पैसे वाले ही डबरा सिविल अस्पताल में अपने बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बनवा सकेंगे, क्योंकि आवेदकों द्वारा 200 से 500 रूपए जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए घूस लिए जा रहे हैं। इसके अलावा जिन गरीब लोगों के पास घूस के पैसे नहीं हैं, उनके बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र भी नहीं बनाया जा रहा है।

आवेदक ने दी जानकारी

डबरा सिविल अस्पताल में मनमानी ढंग से वसूले जा रहे रूपए को लेकर डबरा के वार्ड क्रमांक 18 में रहने वाले ओमकार बघेल ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जब वह अपने बेटे और बेटियों के जन्म प्रमाण पत्र को अपडेट करवाने के लिए सिविल अस्पताल में पहुंचे तो जन्म प्रमाण पत्र बनाने वाले ने उनसे 200 रूपए प्रत्येक प्रमाण पत्र पर देने की बात कही। वहीं, जब उन्होंने पैसे देने से इनकार किया तो प्रमाण पत्र देने वाले ऑपरेटर ने प्रमाण पत्र देने के लिए मना कर दिया। इसके बाद मजबूरी में ओमकार बघेल को 400 रूपए देने पड़े। इस मामले को लेकर उन्होंने जब वह सिविल अस्पताल में बैठे वरिष्ठ अधिकारियों के पास पहुंचे तो उनकी मुलाकात अधिकारियों से नहीं हो पाई।

डबरा बीएमओ ने दी ये जानकारी

वहीं, जब इस मामले पर डबरा बीएमओ आलोक त्यागी से इस संबंध में दूरभाष पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि अस्पताल में जन्म प्रमाण पत्र बिल्कुल नि:शुल्क बनाए जाते हैं। इसमें पैसे लेने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन अगर प्रमाण पत्र को अपडेट कराया जाता है तो उसमें एक एफिडेविट लगता है जो आवेदक को स्वयं लाना पड़ता है।

अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा सारा खेल

अब इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि डबरा सिविल अस्पताल में घूसखोरी का यह खेल किस स्तर पर चल रहा है, क्योंकि डबरा अस्पताल में बीएमओ के होते हुए भी इस तरह घूसखोरी का खेल न जाने कब से चला आ रहा है। सूत्रों की माने तो डबरा सिविल अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों के संरक्षण में यह सारा खेल चलता है।

डबरा से अरूण रजक की रिपोर्ट


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है– खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो मैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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