50वा विजय दिवस : सीसुब ने 1971 के अमर वीर शहीदों को दी श्रद्धांजलि, किया याद

डबरा,सलिल श्रीवास्तव। सीमा सुरक्षा बल अकादमी टेकनपुर में आज खुले मंच का आयोजन कर 50वां विजय दिवस मनाया गया है, जहां 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए वीर जवानों को याद कर सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है, इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अशोक कुमार सहित अन्य अतिथि गण उपस्थित रहे हैं।

यह भी पढ़े…अब प्रदेश के जिला अस्पतालों में होगी कोरोना की RTPCR जांच..

MP

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल अशोक सिंह सेवानिवृत्त पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम, ने 1971 के भारत पाक युद्ध में बीएसएफ की भूमिका तथा उसके परिणाम स्वरूप बांग्लादेश के उदय पर व्याख्यान दिया उन्होंने अपने ओजस एवं ऊर्जा से परिपूर्ण भाषण में अमर शहीदों को याद किया एवं सीमा सुरक्षा बल के युद्ध मे अहम योगदान की भूरी प्रशंसा की है, उन्होंने इस बात को भाबुक हो कर सराहा कि नागरिकों द्वारा सैनिकों के सम्मान की रीति को जिस प्रकार निरंतर हर वर्ष मनाया जाता है, यह राष्ट्र की सुरक्षा में खड़े सिपाहियों के हौसले को और बुलंद करता है, तथा साथ ही सिपाही पर भी जिम्मेदारी होती है, कि वो राष्ट्र की सुरक्षा के लिए किसी भी प्रकार के बलिदान से पीछे ना हटे द्रण शब्दों व बुलंद आवाज में जयघोष करते हुए मुख्य अतिथि ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि जब राष्ट्र की सुरक्षा ऐसे सैनिकों के हाथों में है तो उस राष्ट्र को कोई छू भी नहीं सकता है।

यह भी पढ़े…Government Jobs : 10वीं पास वालों के लिए निकली भर्ती, जल्द करें आवेदन

सीमा सुरक्षा बल अकादमी टेकनपुर में आयोजित हुए कार्यक्रम में इस दौरान जितेंद्र सिंह ओबरॉय विशिष्ट सेवा मेडल महा निरीक्षक व संयुक्त निदेशक सीमा सुरक्षा बल अकादमी ने बल के उन बहादुर वीर शहीदों जिन्होंने 1971 की लड़ाई में अपने सर्वत्र बलिदान से बल को गौरवान्वित किया उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सीमा सुरक्षा बल के महत्वपूर्ण योगदान को याद किया इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी मान्यभावो का इस कार्यक्रम में उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आभार व्यक्त किया है।


About Author
Amit Sengar

Amit Sengar

मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

Other Latest News