डबरा/सलिल श्रीवास्तव
ग्वालियर की 3 विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव से पहले ग्वालियर ग्रामीण जिला कांग्रेस कमेटी में चार कार्यकारी अध्यक्षों को नियुक्त किया गया है, जिस पर पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं सिंधिय समर्थक इमरती देवी ने तंज कसा है। इमरती देवी का कहना है कि कांग्रेस के पास अब कोई ऐसा चेहरा नहीं बचा है जो उसे बचा सके। ऐसे में उपचुनाव का डर उन्हें इस कदर सता रहा है कि वह लोगों को रेवड़ी की तरह पद बांट रहे हैं। कांग्रेस की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि जिन लोगों को पीसीसी में कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया वह अब डिमोशन लेकर कार्यकारी अध्यक्ष जैसे पद स्वीकार कर रहे हैं, कांग्रेसियों का प्रमोशन से डिमोशन हो रहा है। इमरती देवी ने कहा कि आगामी उपचुनाव में चुनाव लड़ने कांग्रेस के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं है जिसे कांग्रेस स्पष्ट कर सके। हालत यह है कि बाहर से आए लोगों को भी पार्टी रिझाने में लगी हुई है।
वहीं इमरती देवी के इस बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेस के नव नियुक्त कार्यकारी अध्यक्ष रंगनाथ तिवारी का कहना है कि इमरती देवी पहले खुद को देखें। कांग्रेस पार्टी के पास प्रत्याशियों की कोई कमी नहीं है। उन्होने कहा कि डबरा क्षेत्र में पार्टी को और ज्यादा मजबूती देने के लिए चार कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं जिससे भाजपा डरी हुई है।
गौरतलब है कि बीते दिनों मध्य प्रदेश कांग्रेस द्वारा ग्वालियर ग्रामीण जिला कांग्रेस कमेटी में
रंगनाथ तिवारी, पपेंन्द्र राजे, कल्याण कंसाना और सुल्तान सिंह रावत की कार्यकारी अध्यक्ष पद पर नियुक्ति की गई है, जिसके बाद से भाजपा और कांग्रेस के बीच लगातार बयानबाजी देखने को मिल रही है। फिलहाल डबरा विधानसभा उपचुनाव होने हैं, भाजपा से जहां सिर्फ एक दावेदार पूर्व मंत्री इमरती देवी का नाम चर्चा में है तो कांग्रेस उनके सामने ऐसे चेहरे को लाने के प्रयास में जुटी हैं जो उन्हें इस उपचुनाव में टक्कर दे सके। अभी तक कांग्रेस की तरफ से मजबूत दावेदारों के जो नाम निकल कर सामने आ रहे हैं उनमें सुरेश राजे, सत्यप्रकाशी परसेडिया और वृंदावन कोरी है जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेतृत्व के सामने अपनी अपनी गोटियां फिट करने में लगे हुए हैं। कांग्रेस भी इस बार आर-पार के मूड में हैं। यही कारण है कि संगठन की मजबूती के लिए कार्यकारी अध्यक्षों को बनाकर नेताओं को पद दे रहे हैं ताकि उपचुनाव में परिणाम उनके पक्ष में आए। बहरहाल अब देखना होगा कि आगामी उपचुनाव में कांग्रेस की रणनीति द्वारा बनाए गए यह चार कार्यकारी अध्यक्ष विधानसभा सीट पर कांग्रेस को किस तरह जीत का स्वाद चख पाते हैं, तो वहीं भाजपा के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती होगी कि वह इन सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद सत्ता के सिहासन को स्थाई बना सके।