दमोह में आंगनवाड़ी स्कूल के 11 बच्चे हुए बीमार, इलाज जारी

जिले के मुंडारी गांव की आंगनबाड़ी में रोज की तरह बच्चे आज भी गए हुए थे। सुबह बच्चो को इस आंगनबाड़ी केंद्र में खिचड़ी दी गई और दोपहर में मेन्यू के आधार पर कढ़ी चावल खिलाया गया। वहीं स्कूल की छुट्टी होने के बाद बच्चे घर चले गए लेकिन घर पहुंचते ही बच्चो की तबियत बिगड़ने लगी।

Shashank Baranwal
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Damoh

Damoh News: मध्य प्रदेश के दमोह जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां एक आंगनबाड़ी स्कूल के 11 बच्चे बीमार हुए हैं। जिन्हें जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। जिले के मुंडारी गांव की आंगनबाड़ी में रोज की तरह बच्चे आज भी गए हुए थे। सुबह बच्चो को इस आंगनबाड़ी केंद्र में खिचड़ी दी गई और दोपहर में मेन्यू के आधार पर कढ़ी चावल खिलाया गया। वहीं स्कूल की छुट्टी होने के बाद बच्चे घर चले गए लेकिन घर पहुंचते ही बच्चो की तबियत बिगड़ने लगी।

एम्बुलेंस के जरिए अस्पताल लाए गए बच्चे

वहीं एक बच्चे ने अजीब हरकतें करना शुरू किया तो उसके परिजनों ने पहली नजर में इसे भूत प्रेत बाधा समझा लेकिन जब बच्चे की हरकतें ठीक नही हुई तो उसका पिता उसे लेकर दमोह अस्तपाल आया। जिसके बाद आंगनबाड़ी गए बच्चो में से एक-एक कर कई बच्चो की तबियत बिगड़ी तो हड़कंप मच गया। लोगो ने पुलिस को सूचना दी तो एम्बुलेंस के जरिए मुंडारी गांव से 11 बच्चो को जिला अस्पताल लाया गया। जहां डॉक्टरों द्वारा उनका इलाज किया रहा है।

बच्चे खतरे से बाहर

जिला अस्पताल के चिकित्सक के मुताबिक पहली नजर में ये फ़ूड पॉइजनिंग का मामला लग रहा है और सारे बच्चे खतरे से बाहर है।  बच्चो को चाइल्ड केयर वार्ड में रखा गया है और शिशु रोग विशेषज्ञ उन्हें इलाज दे रहे हैं। वहीं इस मामले की सूचना पर जिला प्रशासन के अधिकारी भी अस्तपाल पहुंचे हैं और हालातों का जायजा ले रहे हैं। इलाके के एसडीएम आर. एल. बागरी के मुताबिक फिलहाल बच्चे किन कारणों से बीमार हुए इसकी जांच कराई जा रही है और बच्चे खतरे से बाहर है ये सुखद बात है।

दमोह से दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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