जोरदार बारिश के बाद नदी नाले उफान पर, जान को जोखिम में डाल रहे ग्रामीण

Gaurav Sharma
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दमोह, गणेश अग्रवाल।  जोरदार बारिश के बाद जिले के हर अंचल में नदी नाले उफान पर है। ऐसे में आवागमन करने वाले ग्रामीण अपनी जान का जोखिम उठाने में लगे हैं। नदी एवं नाले के पुल पर पानी का तेज बहाव होने के बाद भी लोग पुल पार करने के लिए जोखिम उठाते दिख रहे हैं। ताजा मामला दमोह जिले के पटेरा विकासखंड अंतर्गत आने वाले कुड़ई ग्राम का है। इस ग्राम की ओर जाने वाले रास्ते में एक नाला पड़ता है, जो भारी बारिश के चलते उफान पर है,  बावजूद इसके भी इस नाले को पार करने के लिए लोग दोनों ही किनारों पर खड़े नजर आ रहे हैं.

वहीं एक बुजुर्ग नाले को पार करने की कोशिश कर रहे हैं, तो दूसरी और खड़ा व्यक्ति उसे इस तेज बहाव में उस पार तक पहुंचने की संभावनाओं पर सलाह देता नजर आ रहा है। बता दें  कि जिले में नदी नालों के उफान पर आने के बाद लोगों के बहने के 3 मामले सामने आ गए हैं, जिनमें केवल 2 शव बरामद हुए हैं। वहीं एक बुजुर्ग का शव अभी तक नहीं मिला है। ऐसे हालात में ग्रामीण इलाकों के लोग अपनी जान का जोखिम उठाकर नदी पार करते नालों को पार करते दिखाई दे रहे हैं।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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