कांग्रेस ने निकाली किसान आक्रोश रैली, पानी की बौछार से मची भगदड़, हुई झड़प

Gaurav Sharma
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दमोह, गणेश अग्रवाल। संक्रमण के इस काल में लंबे समय के बाद कांग्रेस द्वारा किसान आक्रोश रैली का आयोजन किया गया। दरअसल, लगातार हुई तेज बारिश के कारण किसानों की फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गई है। वहीं विपक्ष कांग्रेस के लिए यह मुद्दा काफी अहम है। यही कारण रहा कि किसान कांग्रेस के बैनर तले जिला कांग्रेस कमेटी एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में रैली का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ किसान मौजूद रहे।

 

दरअसल, दमोह जिला मुख्यालय के तहसील मैदान से एकत्रीकरण के बाद किसान कांग्रेस रैली का आगाज किया गया। कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर रैली ने उग्र रूप ले लिया, नारेबाजी करते हुए जहां शिवराज सरकार का पुतला दहन किया गया, तो वही किसानों ने कलेक्ट्रेट का गेट बंद होने पर अपने हाथों में मौजूद फसलों को अधिकारियों पर फेंकना शुरू कर दिया। इसी दौरान फायर ब्रिगेड की टीम ने पानी की बौछार मारना शुरू किया, तो गुस्से में आए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पथराव भी कर दिया। वही इसके बाद फायर ब्रिगेड को आगे ले जा कर पानी की बौछार बंद की गई। तब कहीं जाकर कांग्रेस के कार्यकर्ता शांत हुए। कुल मिलाकर लंबे समय के बाद आयोजित हुई विरोध प्रदर्शन रैली में हंगामे के हालात दिखाई दिए। वहीं कांग्रेस के नेताओं का कहना था कि शिवराज सरकार यदि किसानों को सही मुआवजा नहीं देगी तो आगामी दिनों में और भी बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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