Damoh News : दमोह में शनिवार की देर रात हाकगंज बरंडा के ऐतिहासिक गेट के धराशाई होने की घटना ने न सिर्फ ऐतिहासिक इमारत छीनी बल्कि कई लोगों की रोजी रोटी भी छीन ली है। इस गेट के नीचे दर्जनों फुटकर दुकानदार जमीन पर दुकान सजाकर अपने जीवन को चलाने का काम करते थे। रविवार की सुबह गेट के मलबे के नीचे से यही लोग अपनी दुकान के अवशेष तलाशते नजर आए। किसी के तराजू बांट थे, तो किसी की पालीथिन जिसे लगाकर वो दुकान बना लेते थे। शनिवार की शाम ये लोग अपनी अपनी दुकानें रोज की तरह बंद करके गए और कुछ देर बाद ही ऐतिहासिक महत्व वाला गेट जमींदोज हो गया। ये लोग ईश्वर को धन्यवाद भी दे रहे हैं कि हादसा उस वक़्त नही हुआ जब वो गेट के बिल्कुल नीचे ही बैठे रहते थे बल्कि उनके जाने के बाद गेट गिरा। इनमे से एक दुकानदार राजा जैन की कहानी बेहद मार्मिक है जिसे इस गेट कांड ने न सिर्फ बचा लिया बल्कि उनकी दुकान में रखी रकम भी उन्हें मलबे के नीचे से मिल गई। हालांकि उनका बहुत नुकसान भी हुआ है।
क्या है पूरा मामला
देर रात जब हाकगंज बरंडा का ये गेट गिरा उस वक़्त राजा अपने पिता के साथ उसके नीचे ही थे। राजा यहाँ एक छोटी से जगह में कियोस्क बैंक का काम करते हैं, और इस काम में लोगो के पैसे का कलेक्शन करते हैं, छोटी सी जगह में कम्प्यूटर लेपटॉप सहित दूसरे उपकरण उनकी दुकान में थे। हादसे के महज दो मिनिट पहले ही राजा और उनके पिता इस जगह से थोड़ा आगे बढे और गेट भरभरा कर गिर गया। राजा की दुकान का सारा सामान मलबे में दब गया जिसमें एक बैग था और बैग में जमा की हुई पांच लाख से ज्यादा की रकम भी थी, जान बची लेकिन पूंजी खतरे में थी लेकिन रात में ही रेस्क्यू टीम की मदद से पैसों का बैग मिला तो राजा को राहत मिली। सुबह हुई तो फिर ये नोजवान मलबे में अपने सामान को तलाशने में जुट गया, जो मिला वो अब किसी काम का नही बचा। राजा की तरह दूसरे छोटे दुकानदारों की व्यथा भी यही दिखाई दी।
इन पीड़ितों के मुताबिक गेट के बाजू से चल रहे निर्माण कार्य को लेकर उन्हें पहले से शंका थी कि इस ऐतिहासिक गेट को नुकसान हो सकता है, स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत नगर पालिका से भी की लेकिन कोई कार्रवाई नही हुई औऱ हादसा हो गया।
दमोह से दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट