Damoh News : नहीं मिला शव वाहन, मजबूर पति ने पत्नी के शव को ई रिक्शा से पहुंचाया घर

ऐसा पहली बार नही हुआ है बल्कि इसके पहले भी शर्मसार करने वाली ये तश्वीरें सामने आ चुकी हैं। हर बार ऐसे हालात न बनने की दलील दी जाती है। लेकिन कुछ समय बाद ही फिर झकझोर देने वाले हालात सामने आ जाते हैं।

Amit Sengar
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Damoh News : मध्य प्रदेश के दमोह जिले से एक बार फिर शर्मसार करने वाली तश्वीरें सामने आई है। जब देर रात एक परिवार की बुजुर्ग महिला के शव को शव वाहन नसीब नही हुआ तो परिवार के लोग उस महिला के शव को बाइक में बीच में रखकर घर ले जाने को मजबूर दिखे मगर मौके पर मौजूद कुछ लोगों को ये अच्छा नही लगा तो उन्होंने एक ई रिक्शा का इंतज़ाम किया और फिर एक पति अपनी बुजुर्ग पत्नि के शव को सीने से चिपका कर ई रिक्शा में सवार होकर घर ले गया।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, देर रात करीब दो बजे दमोह के सवा लाख मानस पाठ इलाके से एक 65 साल की बुजुर्ग महिला को उसका बेटा और पति बाइक पर बैठा कर दमोह के जिला अस्पताल इलाज के लिए लेकर आये थे। जिला अस्पताल के डॉक्टर ने महिला को चेक किया और उसे मृत घोषित कर दिया। अब महिला के शव को घर तक ले जाना था तो शव वाहन के लिए कॉल किया गया लेकिन अस्पताल में शव वाहन या एम्बुलेंस नही मिली, पीड़ित परिवार की स्थिति प्रायवेट वाहन की नही थी। फिर क्या था बुजुर्ग पिता और बेटे ने शव को ठीक वैसे ही ले जाना उचित समझा जैसे वो बीमार हालत में महिला को लेकर आये थे। बेजान महिला को बाइक पर बैठाया गया और बेटा गाड़ी चालू कर ही रहा था कि अस्पताल परिसर में मौजूद कुछ लोगो ने उससे पूंछा और सब देखकर सहम गए। लोगो के मन मे शव का सम्मान करना उचित समझा और फिर एक ई रिक्शा को बुलाया, महिला के शव को उसके बुजुर्ग पति ने सीने से चिपकाया और उसे रिक्शे से घर ले गए। ये सारी मार्मिक तश्वीरें कैमरे में कैद हो गई और अब सब के सामने हैं।

ऐसा पहली बार नही हुआ है बल्कि इसके पहले भी शर्मसार करने वाली ये तश्वीरें सामने आ चुकी हैं। हर बार ऐसे हालात न बनने की दलील दी जाती है। लेकिन कुछ समय बाद ही फिर झकझोर देने वाले हालात सामने आ जाते हैं। इस मामले में जिला अस्पताल के आर एम ओ डॉ डॉक्टर विशाल शुक्ला का कहना है कि देर रात का ये मामला सामने आया है। जब पता किया गया तो मालूम चला कि शव वाहन चालक ने 15 से 20 मिनिट का समय मांगा था लेकिन मृतिका के परिजनों के इंतज़ार नही किया और वो शव ले गए।
दमोह से दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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