Damoh News : किसानों की समस्या देख आग बबूला हो गए कलेक्टर साहब, क्या हुआ जानिए…

क्लेक्टर को इतना भी याद नही रहा कि आसपास भीड़भाड़ है, लोग अपने मोबाइल कैमरो में सब कुछ रिकार्ड कर रहे है लेकिन डीएम ने एक बार नही बल्कि कई दफा विपणन अधिकारी को फटकार लगाई।

Amit Sengar
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Damoh News : मध्य प्रदेश के दमोह जिले के कलेक्टर सुधीर कोचर अपनी पदस्थापना के बाद से ही लगातार सुर्ख़ियो में है और अपने अंदाज के लिए लोकप्रिय भी लेकिन उनका यह रूप जिसने भी देखा वो हक्का बक्का रह गया और लोगो ने चर्चा के बाजार भी गर्म किये सवाल किए की साहब को गुस्सा भी आता है? जी हां इन सवालों के साथ डीएम कोचर के वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहे हैं। दरअसल बीच लोकसभा चुनाव प्रक्रिया के दौरान कोचर को दमोह में क्लेक्टर बनाया गया था, चुनावी प्रक्रिया के बीच भी कोचर जनहित के मामलों को लेकर सक्रिय रहे जनता से संवाद स्थापित किया और फिर अपनी सहजता सरलता और सौम्यता के लिए पब्लिक में जगह भी बनाते गए। लेकिन निरीक्षण के दौरान डीएम का रौद्र रूप देखने को मिला जब कोचर अपने गुस्से को काबू नही कर पाए सार्वजनिक हुए और अफसरों को फटकार लगाते कैमरो में कैद हो गए।

क्या है पूरा मामला

बता दें कि कलेक्टर जिले के पथरिया इलाके में दौरे पर थे और इसी दौरान उन्हें किसानों को दी जा रही खाद में गड़बड़ी की शिकायत मिली। किसान खाद के लिए परेशान है और हर दिन सोसायटी के चक्कर लगा रहे है। हकीकत जानने के लिए डीएम दलबल के साथ पथरिया के विपणन संघ की गौदाम में पहुँच गए, सम्बंधित अधिकारियों को तलब किया और जब खुद डीएम ने देखा कि खाद गोदामो में भरा पड़ा है तो उन्हें गुस्सा आ गया। फिर क्या था क्लेक्टर को इतना भी याद नही रहा कि आसपास भीड़भाड़ है, लोग अपने मोबाइल कैमरो में सब कुछ रिकार्ड कर रहे है लेकिन डीएम ने एक बार नही बल्कि कई दफा विपणन अधिकारी को फटकार लगाई।

हांलाकि डीएम का गुस्सा आना जायज है क्योंकि किसान परेशान हो रहा है कई जगहों से शिकायतें भी मिल रही है ऐसे में सही वितरण न होना जिले में कलक्टर की जवाबदारी भी बनती है और सरकार की किरकिरी भी होती है। बहरहाल कलेक्टर सुधीर कोचर के इस अंदाज को अब लोग चटकारे लेते देख रहे है।
दमोह से दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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