33 केवी टावर पर कार्य करते समय लाइनमेंन को लगा करंट,ग्वालियर रैफर

Gaurav Sharma
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दतिया, सत्येन्द्र सिंह रावत। वार्ड 14 के रहने वाले एक युवक को 33 केबी विद्युत टावर पर कार्य करते समय जोरदार करंट लग गया और वह गंभीर रूप से घायल हो गया। यह हादसा उस वक्त हुआ जब वह सिटी लाइन के जंफर को जोड़ने का कार्य कर रहा था। गम्भीर रूप से घायल लाइनमैन को उपचार के लिए सेवढा सिविल अस्पताल लाया गया ।

बताया जा रहा है कि सुबह करीब 8 बजे थर्ड आई कंपनी लाइन मैन सहायक प्रदीप पुत्र झा उम्र जिसकी उम्र 26 साल है जोकि वार्ड क्रमांक 14 के रहने वाला है वो हर दिन की तरह अपने घर से काम पर जाने की कहकर अपने मध्यप्रदेश विधुत वितरण कार्यालय पर गया था। वहां पर सिटी लाइन के जंफर खराब होंने पर लाइन बन्द कराकर ठीक करने लगा तब अचानक से उसे जबरदस्त करंट लग गया और देखते ही देखते वह जमीन पर आकर गिर गया। साथ में कार्य करने वाले साथी ने फौरन अन्य कर्मचारियों को बुलाया। कर्मचारियों की मदद से घायल प्रदीप झा को सिविल अस्पताल ले जाया गया ।

तत्पश्चात मेडिकल ऑफिसर डॉ नरेंद्र शर्मा ने प्राथमिक उपचार के बाद घायल को ग्वालियर रेफर कर दिया गया। प्रदीप झा के परिजनों को जैसे ही करंट लगने की सूचना मिली तो पैदल ही सिविल अस्पताल जा पहुंचे। घायल की हालत देख  उसकी मां बेहोश हो गई।

साधन-संसाधनों की कमी के चलते सदैव खतरा उठाते रहे हैं लाइन मैन 

न ही दस्ताने नये, न प्लास, न ही मजबूत नसेनी, फिर भी जी जान लगाकर लाइनमेंन काम करते रहते हैं, जिन्हें नोकरी जाने का डर रहता तो कभी अधिकारियों के दवाव में कार्य करने को मजबूर रहते हैं । यह पहली घटना नहीं है जब किसी लाइनमैन को कार्य करते समय करेंट लगा हो । वहीं एक लाइन मैन ने बताया कि हम लोग कई बार विभाग को मेटीनैंस के लिये उपकरण उपलब्ध कराने बोला गया है । मगर कोई सुनवाई नहीं होती व आउटशोर्स कर्मचारी अपने उच्च अधिकारियों से ज्यादा नहीं कह पाते । हमें डर रहता है कि हम  अधिकारियों की खिलाफत करने पर कहीं नौकरी से न निकाल दिया जाये। आउट सोर्स कर्मचारियों को लाईन पर काम करने का अधिकार नहीं है। परंतु स्थाई कर्मचारियों की उदासीनता एवं अधिकारियों की तानाशाही के कारण ये लोग मजबूरी में काम करते हैं।

बता दें कि घायल प्रदीप पिछले साल ही विधुत वितरण केंद्र सेवढा में आउट सॉर्स के माध्यम से नोकरी शुरू की थी और अपने कार्य के प्रति सजग और ईमानदारी के चलते लोगों को 24 घण्टे अपनी सेवाएं देता था।  लोगों के फोन पर लाइट की समस्या मिलने पर फ़ौरन उसको दूर करने काम शुरु कर देता था।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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