Datia News : इन दिनों पूरे देश भर में नवरात्रि का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। हर गली-मोहल्ले में माता रानी की प्रतिमाएं स्थापित की गई है। जगह-जगह भव्य पंडाल बनाए गए हैं, जिसमें माता की पूजा करने भक्त पहुंच रहे हैं। सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है। दरअसल, हर साल कुल कुल चार बार नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। जिनमें से यह शारदीय नवरात्रि चल रही है, जो कि साल के अंत में मनाई जाती है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है। इस दौरान लोगों में अलग ही उत्साह देखने को मिलता है।

ऐसी मान्यता है कि इस दौरान मां दुर्गा ने लोगों को महिषासुर राक्षस से बचाने के लिए धरती पर शेर पर सवार होकर आई थी और उनका वध किया था। जिसके बाद से ही दुर्गा पूजा का त्योहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग नए-नए कपड़े खरीदते हैं। घरों में तरह-तरह के लाजवाब पकवान बनाते हैं। इसे हर राज्य में अलग-अलग परंपराओं के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा की अलग ही धूम देखने को मिलती है, तो वहीं पश्चिमी राज्यों में गरबा खेल कर इस पर्व को मनाया जाता है। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के दतिया में भी माता रानी के दर्शन के लिए मंदिरों मे भीड़ उमड़ रही है।
उमड़ी भक्तों की भीड़
दरअसल, यहां पर देश का एक ऐसा मंदिर जहां भक्तों का तांता हमेशा लगा रहता है। नवरात्रि के मौके पर नजारा देखने लायक होता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं विश्व प्रसिद्ध देवी तांत्रिक शक्तिपीठ मां पीतांबरा मंदिर की। बता दें कि इस मंदिर में दो देवियां विराजमान हैं, जिनमें देवी मां पीतांबरा और देवी मां धूमावती शामिल हैं। यहां हर साल नवरात्रि के मौके पर मंदिर में स्थित देवी पीतांबरा माता के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, तो वहीं देवी मां धूमावती के दर्शनों के लिए भी लंबी-लंबी लाइन लगी रहती है।
जानें इतिहास
मान्यताओं के अनुसार, देवी मां पीतांबरा को सियासत की देवी कहा जाता है, जबकि देवी मां धूमावती तंत्र साधना की प्रमुख देवी मानी जाती है। इन सबसे हटकर यहां की अलग बात यह है कि माता धूमावती को नमकीन का प्रसाद लगता है। ऐसा आपने पहली दफा ही सुना होगा, जिसमें मगोड़ी, पकौड़ी, कचौड़ी, बेसन से बने हुए नमकीन आदि शामिल है। स्थानीय लोग बताते हैं कि देवी मां धूमावती की स्थापना मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी जी महाराज ने सन 1962 में राष्ट्र रक्षा के लिए करवाई थी। जब मंदिर में बड़ा यज्ञ आयोजित किया गया था। तभी भारत पर चीन ने घुसपैठ करते हुए सीमाओं पर कब्जा करने का प्रयास किया था।
इन लोगों का प्रवेश वर्जित
वहीं, देवी पीतांबरा मंदिर में वर्तमान समय में यह प्राचीन यज्ञशाला देवी धूमावती मंदिर के ठीक सामने स्थित है। देवी मां धूमावती के दर्शन सौभाग्यवती स्त्रियों को वर्जित है। बता दें कि यहां मां धूमावती की निश्चित समय पर पूजा की जाती है। इस मार्ग पर सौभाग्यवती स्त्रियों को दर्शन न करने की मनाही के निर्देश बोर्ड चारों तरफ लगे हुए हैं। फिलहाल, इसके पीछे की वजह क्या है इसका खुलासा नहीं हो पाया है।
दतिया से सत्येन्द्र रावत की रिपोर्ट