दतिया, सत्येंद्र रावत। एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रतिदिन मिलावटखोरों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार कर रहे हों, पर दतिया में यह जहरीला खेल निरन्तर जारी है। इस बात से जिले के मुखिया से लेकर नीचे तक सभी लोग वाकिफ भी हैं, पर कार्यवाही के नाम पर ढाक के तीन पात ही नजर आ रहा है। खास बात ये कि यहां मीठे गुड़ के नाम पर लोगों को जहरीला केमिकल बेचा जा राह है, लेकिन खाद्य विभाग जैसे सब जानकर भी आंखें मूंदे बैठा है।
हाल ही में दतिया कलेक्टर द्वारा जिले के सफेद गुड़ को जिले के एक जिला एक उत्पाद के रूप में शामिल किया है। पर उन्हें नहीं पता कि यह गुड़ वास्तव में गुड़ नहीं बल्कि एक मीठा जहर है। इस गुड़ को बनाने वाले चमकीला रंग देने के लिए उसमें safolite नाम का एक हानिकारक केमिकल और पीला रंग मिला रहे हैं जो कैंसर कारक होने के साथ साथ गुर्दे तथा ह्रदय के लिए भी हानिकारक हैं। यह क्षारीय केमिकल फैक्टरियों में उपयोग किया जाता है और इसका उपयोग चमड़ा साफ करने में होता है। लेकिन दतिया में यह केमिकल गुड़ तथा दूध व मावे का रंग साफ दिखाने के लिए उपयोग किया जा रहा है। दो दिन पूर्व जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी दिनेश निम के द्वारा एक डेयरी पर छापामार कार्यवाही के दौरान भी safolite का पैकेट प्राप्त होना इसका जीता जागता उदाहरण है।आखिर कब तक यह मीठा जहर जिले के प्रमुख उत्पाद की मिठास के रूप में लोगों के बीच परोसा जाता रहेगा।