किसकी जेब में गया 9 करोड़ रुपए का ब्याज! आबकारी विभाग के 25 करोड़ के गुमशुदा FDR मामले में ठेकेदार पर कार्रवाई से बच रहा विभाग?

आबकारी विभाग से संबंधित 25.50 करोड़ रुपये की एफडीआर (fixed deposit receipt) के गायब होने का मामला चर्चा का विषय बन गया है। वहीं अब इसे लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

हाल ही में जबलपुर जिले के आबकारी विभाग से संबंधित 25.50 करोड़ रुपये की एफडीआर (fixed deposit receipt) के गायब होने का मामला चर्चा में आया है। दरअसल इस घटना ने कहीं न कहीं सरकारी विभागों में वित्तीय अनियमितताओं और अधिकारियों की लापरवाही को उजागर किया है। बता दें कि सबसे बड़ा सवाल 9 करोड़ रुपये के ब्याज की राशि पर उठ रहा हैं, जिसका अभी तक कोई ठोस हिसाब नहीं मिलता हुआ दिखाई दे रहा है।

दरअसल इस मामले में विभाग द्वारा अभी तक ठेकेदार के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया है। जिसके बाद अब इससे कई संदेह पैदा हो रहे हैं। वहीं अब इससे विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े होते हुए दिखाई दे रहे हैं।

जानिए क्या है पूरा मामला?

बता दें कि जबलपुर आबकारी विभाग से जुड़ा 25.50 करोड़ रुपये की एफडीआर का मामला तब सामने आया जब सहायक आयुक्त के नाम पर यह फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद बनाई गई थी। दरअसल यह मामला वर्ष 2020-21 का है, जब जिले को दो भागों – जबलपुर उत्तर और जबलपुर दक्षिण में बांटा गया था। जानकारी के अनुसार इन दोनों क्षेत्रों का ठेका ‘मेसर्स माँ वैष्णो इंटरप्राईजेस’ को दिया गया था, जिसमें आशीष शिवहरे और सूरज गुप्ता साझेदार थे। वहीं ठेकेदार के पास शासन की यह बड़ी रकम बकाया होने के कारण, इस फर्म को आबकारी विभाग द्वारा बकायादार घोषित किया गया है।

9 करोड़ रुपये के ब्याज से किसे फायदा हुआ?

वहीं अब इस मामले में आबकारी विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि ठेकेदार से अब तक बकाया वसूली के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इसके अलावा, 9 करोड़ रुपये के ब्याज से किसे फायदा हुआ, यह भी जांच का विषय बना हुआ है। दरअसल विभाग की निष्क्रियता ने इस विवाद को और गहरा दिया है, जिससे कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं।

दरअसल विभाग द्वारा “मेसर्स माँ वैष्णों इंटरप्राईजेस” को आबकारी बकायादार घोषित किए जाने के बावजूद, ठेकेदार पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे विभाग की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। एक ओर जहां सरकारी राजस्व की बकाया राशि वसूलने में अनावश्यक देरी हो रही है, वहीं दूसरी ओर, करोड़ों रुपये के ब्याज के गायब होने पर भी विभाग ने चुप्पी साध रखी है।


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Rishabh Namdev

Rishabh Namdev

मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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