त्योहारी बाजार में दिख रहा कोरोना का असर, ग्राहकों का इंतजार, स्वदेशी पटाखों की बड़ी डिमांड

Gaurav Sharma
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देवास/बागली, सोमेश उपाध्याय। कोरोना के कारण पिछले कई महिनों से आर्थिक मंदी से जूझ रहे दुकानदारों को अब दीपावली पर धीरे-धीरे ग्राहकी और बढऩे की उम्मीद जगी है। रविवार से बागली में त्योहारी बाजार की शुरुआत हुई है। अब पूरे क्षेत्र में साप्ताहिक हॉट बाजार दीपावली तक जारी रहेंगे।

अस्थाई पटाखा दुकानें पुरानी कचहरी में लगाई गई

इस बार व्यापारियों को कोरोना गाईडलाइन के अनुसार ही दुकानें लगाने की अनुमति दी गई। वही थाना चौराहे से मुख्य मार्ग तक पशु धन श्रंगार,रंग-रोगन, दीपक,फ़ोटो आदि की दुकानें भी सजी थी। हर साल दीपावली पर्व के पहले पढ़ने वाले साप्ताहिक बाजार में जमकर ग्राहकों की भीड़ उमड़ती थी परन्तु इस बार लगे साप्ताहिक बाजार में 40 प्रतिशत बिक्री भी नहीं हुई। व्यापारियों ने बताया कि बाजार कम भरने का प्रमुख कारण साप्ताहिक बाजार व दीपावली पर्व के बीच एक सप्ताह का गेप होना भी प्रमुख कारण है। वही टीआई ब्रजेश श्रीवास्तव के निर्देशन में सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल तैनात रहा।

स्वदेशी पटाखों की बड़ी डिमांड

परंपरागत पटाखों के अलावा इस बार इको फैफ्रेडली पटाखों ने भी जगह ली है। इन पटाखों की खासियत यह है कि यह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। वही धुआं और शोर भी कम करते हैं। यही नहीं असावधानी के कारण होने वाली दुघटनाओं की भी आशंका नहीं रहती है। व्यवसायी इरेश उपाध्याय ने बताया कि इको फ्रेंडली पटाखे में पॉप-पॉप लोगों की पसंद बना हुआ है। यह पटाखा जमीन पर फेंकने पर ही फुट जाता है।

इसी प्रकार बच्चों के लिए म्यूजिकल चक्री, पेंसिल व अनार आए हैं। कुछ पटाखे तो ऐसे हैं जिनमें से रंग व कागज के टुकडें उड़ते हैं। यह शोर भी कम करते हैं।उन्होंने बताया कि चायनीज पटाखों से व्यवसायियों ने परहेज किया है। इस बार पटाखों की कीमत किसी की कम तो किसी की ज्यादा हुई है। ग्रीन पटाखा की डिमांड भी बढ़ी है।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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